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मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

पूज्य रमणी गुरुजी काक भुजंदर जीव नाड़ी की ईश वंदना








 

 

 

 

पुज्य रमणी गुरुजी काक भुजंदर जीव नाड़ी का पठन शुरु करने से पहल एक वंदना करते हैं।  उसका महत्व तथा अर्थ बहुत कम तमिलभाषियों को समझ में आता है। उसे प्रस्तुत किया जा रहा है।



शक्ती, सिद्धी और बुद्धी के दाता जटाधर भगवान शिवजी, जो अखिल जगत के लिए परमानन्ददायी है, उनके चरणस्पर्श करके.... तथा "वेल" नाम का आयुध धारण करनेवाले जो भगवान कन्दस्वामी षण्मुखन्जी हैं, उनके चरणस्पर्श करके..... तथा भगवान श्री चतुर्मुखी गणेशजी के भी चरणस्पर्श करके और साथ ही भगवान श्री महाविष्णुजी के चरणस्पर्श करके ..... अटूट भक्ती के साथ माता शंकरीजी को नमस्कार करके.... मन में सुकर्म, अच्छे कर्म याचना के साथ ही माता पार्वतीजी के चरणस्पर्श करके.... जो स्वयम् ॐ कारस्वरूप है, जो स्वयम् प्रकाशरूप में स्थित हैं... जो स्वयम् अकार उकार मकार आज शरीररूप धारण कर सच्चिदानन्दरूप आशिर्वादोंकी वर्षा कर रहा हैं... जो स्वयम् खुले अंबर के नाथ है ... जिसके बताए हुए मार्ग पर अखिल ब्रह्माण्ड स्थित हैं... जिसने प्रकृतिस्वरूप उमामहेश्वरीजी को अपना आधा शरीर प्रदान किया है... उन कैलासपति भगवान शंकरजी के आशिर्वादोंसे आज यहाँ पर इकठ्ठा हुए आप सब लोगोंके आयुष्य में आनंद, सुख, अच्छाईयाँ नितनित के लिए प्रस्थापित रहें ऐसी प्रार्थनाएँ हैं।

बहुला या बकुला काग बुजंदर महर्षी के साथ

हे उमामहेश्वरजी, आपके आशिषदायी चरणकमलोंकी पूजा करके मैं स्वयम् काकभृशुंडी आज के दिन का गणित प्रस्तुत करता हूँ ... आज रविवार का शुभ दिन हैं.. मेषराशी में चंद्र भगवान ज्ञानदायी भगवान केतु के साथ स्थित हैं... ऐसे प्रस्तुत काल पर कुछ लोग अनेक श्रम अनेक कष्ट उठाकर अपने-अपने मार्गोंको ढूँढते हुए कहाँ कहाँ से आए हैं.. इन लोगों के कर्ममार्ग में कुछ बीते समय में कुछ रुकावटे, कुछ अडचनें आती रही हैं ... यहाँ पर उपस्थित किसी के मन में ... आने वाले समय में क्या होने जा रहा हैं... क्या जो होगा वो अच्छा ही होगा? ऐसी स्थिती में हमें क्या करना चाहिए? इस तरह के कुछ प्रश्न उपस्थित हो चुके हैं.. लगभग बीते चार महिनोंसे इनकी यह स्थिती बनी हुई हैं... इनके लिए मैं काक भृशुंडी जो कहने जा रहा हूँ, वह इन्होंने कृपया कर ध्यान से सुनना चाहिए... आज रविवार हैं... इस शुभ दिन के अवसर पर इस वाक्य को सुनने का भाग्य जिन्हें प्राप्त हैं... वो चाहे कोई भी हो... वो भाग्यशाली हैं... अब प्रथमत: भगवान गणेशजी की प्रार्थना करते हैं... हे करुणामूर्ती भगवान गणेशजी, आपके आशिर्वादोंके प्रकाश में हम सब बालक नितनित काल के लिए स्थित अपने अंदर की अहंता को नष्ट करने के पश्चात् जो आनंद शेष रहता हैं, उस आनंद की तुलना विश्व में और किसी भी आनंद से हो नही सकती.... यहाँ पर प्रस्तुत लोगोंके जो प्रश्न हैं... उनके उत्तर आपको शीघ्र ही मिलें ऐसे आशिर्वाद स्वयम भगवान गणेशजी अपनी शुंडी उठाकर दे रहे हैं... इन आशिर्वादोंकी कृपा से आप लोगोंके मन के भीतर से सारा भय निकल जाए.. आपको आंतरिक आनंद की प्राप्ती हो... आने वाले समय में अनेक आश्चर्यचकित करनेवाली घटनाओं का अनुभव करने की शक्ती आपको प्राप्त हो... जिसके मन में भविष्य काल से संबंधित यह प्रश्न है... आप ये भविष्य घटता हुआ देखेंगे, तथा इसे देखने के लिए आपको अतिशय बल की प्राप्ती होगी, इसमें कोई संशय नहीं हैं... पूर्णता और दीर्घता को आप संपूर्ण रूप से देखेंगे... मेरे इस कथन का आधार ...? भगवान सूर्य मकर राशी में संक्रमण कर चुके हैं ... आने वाले समय मे, जब भगवान सूर्य मेष राशी में तथा वृषभ राशी में संक्रमित होंगे... तब आपके हृदय के भीतर से ही.. जो आपके आज प्रश्न हैं, उनके उत्तर प्रस्तुत होंगे... संपूर्ण प्रकाश की सहाय्यता के साथ, जिन कार्यों के बारे में सोचा भी नही जा सकता, ऐसे कुछ कार्य ... सारे बिना किसी रुकावटोंके पूर्ती को प्राप्त होते हुए आप स्वयम् अनुभव करेंगे.....

जानते तो हैं... फिर भी एक कौवे के रूप में उपस्थित मुझसे चीख-चीख कर कहलवाते हैं... क्या लीला हैं .... जैसे कोई मनुष्य अपने रास्ते पर स्थित होता हैं, तो उसकी दृष्टी क्षितिज तक ही सीमित होती हैं... परंतु पेड़ पर बैठा हुआ एक कौवा, भगवान ने दी हुई अपनी तीक्ष्ण दृष्टी का प्रयोग कर दूर तक का देख लेता हैं... भगवान का आशिर्वाद ही आधार हैं.. यही लीला भी हैं .... ये सब आप आने वाले काल में आँखोंसे देखेंगे... कानोंसे सुनेंगे... अब ... आप के मार्ग में जो सारी रुकावटें, जो सारी अड़चनें थी वो सब दूर-दूर निकल गई हैं... आने वाले काल में आप अद्भुत सुखनाद बृहदानंद के साथ पाओगे... वो भी आनंदित होंगे, मेरे भाई..! श्री तिरुमगल महालक्ष्मीजी के आशिर्वाद की आप पर वर्षा होने का समय अब आ चुका हैं....


हे सर्व साक्षी भगवान सूर्यदेव.. जैसे आपका प्रकाश स्वच्छ हैं... वैसे स्वच्छ... महाराज दशरथ के कुल में उत्पन्न हुए... सुपुत्र जो स्वयम् करुणामूर्ती हैं... महान तपस्वी हैं... ग्रहोंनक्षत्रों पर राज्य करते हैं... वो यहाँ बैठे हैं... वो तो श्रीराम ही हैं.... हे भगवान ये सारी पृथ्वी माता नित नित आपकी पूजा करती हैं... अहो भाग्य हैं... माता सीता के साथ स्वयम् भगवान श्रीराम यहाँ पर उपस्थित हैं... भय से कंपित, सदैव चिंतित तथा आनंदित इस सारी धरती माँ को आने वाले काल में आप ही मार्ग दिखाएँगे... आप ही इन्हें प्रकाश का सत्य स्वरूप समझाएँगे... आप ही इनके प्रश्नों का उत्तर होंगे....

......

यहाँ पर कोई सीतारामन नाम के व्यक्ती उपस्थित हैं क्या?

हाँ जी, यहाँ पर बैठा हूँ, पीछे....

ओहोहो... नमस्कारम्, नमस्कारम्...

.....

....तो मैं काकभृशुंडी, बहुत प्यार के साथ ये कथन करता हूँ... के यहाँ पर उपस्थित जनोंके आयुष्य में कभी कोई ख़ामियाँ नहीं रहेंगी.... सब को नितनित के लिए धन की प्राप्ती, आनंद, सुख की प्राप्ती होती रहेगी... चाहे आपको मेरी यह भाषा समझ में आए, चाहे ना समझ में आए... परंतु चेन्नै नगर में मेरे यह शब्द सुनने के लिए जो आप सब लोग यहाँ पर इकट्ठे हुए हो... ये शब्द ध्वनी रूप से आपकी आत्मा तक जाएँगे... और यथोचित समय पर वो अपने आप ही संचलित हो जाएँगे.... आपके कार्यकाज में, आपके व्यवसायों में... आपकी धन प्राप्ती में ... आपको नित्य लाभ प्राप्ती होगी... आपके हाथोंसे धर्म कार्य होंगे.... जिस जिस कार्य की पूर्ती करने के लिए आप सोचेंगे... वो सब कार्य आपके हाथोंसे पूर्ण हो जाएँगे... उचित विषयों का ज्ञान उचित समय पर आपको सहाय्य के स्वरूप में प्राप्त होगा... आप स्वयम् के आयुष्य में तो सब ठीक होगा ही, साथ में ही आप दूसरों के आयुष्य में सहाय्यता करने की क्षमताएँ प्राप्त करेंगे... यह कथन मैं स्वयम् काकभृशुंडी... भूमाता को साक्षी रख कर कह रहा हूँ...

हे भगवान महाविष्णु के नाम धारण करनेवाले व्यक्ती, आप को माता अन्नपूर्णा के संपूर्ण आशिर्वाद प्राप्त हैं .... आपके जीवन का जो आधार था वो ही नही रहा.. आपके कर्ममार्ग में कुछ रुकावटे आती गई... मैं जानता हूँ के आपके भविष्य काल को लेकर आप चिंतित हैं... आने वाले काल में आपके जीवन में सब अच्छा ही होने जा रहा हैं, चिंता ना करें... आपके जीवन में आप पूर्णता को प्राप्त कर दीर्घायु पाएँगे... समय ने आपके सामने जो प्रश्न खड़े कर दिये थे... उनके उत्तर भी आपके सामने समय के साथ ही आएँगे... छाती पीट के कहता हूँ, चिंता ना करें... मैं देख रहा हूँ आपके लिए आनंदभरा जीवन प्रतीक्षा कर रहा हैं... जो आप सोचेंगे वो हो जाएगा... आप अपने सारे कर्तव्य यथा शक्ती निभाएँगे... हे भगवान सूर्यदेव के कुल में जन्मे मेरे प्रिय... आने वाले फाल्गुन मास में २० वी तिथी के पहले ही... ऐसी कुछ घटनाएँ घटेंगी, जिनके योग से आपके कर्ममार्ग में आपको कुछ सरलताएँ प्रस्तुत होती हुई दिखेंगी... जिनसे आप सुखी होंगे.... आज के काल में जो आप के मन में दुविधाएँ हैं ... वो सब इस समय के पश्चात् दूर हो जाएँगी... माता शक्ती के आशिर्वादों आप के सब कार्य त्वरीत ही सिद्ध हो जाएँगे... यह कृपया आप जान लीजिए....

आज यहाँ पर कुछ ऐसे लोग उपस्थित हैं, जिनके साथ बात करते हुए मैं काकभृशुंडी अति आनंदित हो रहा हूँ... बहुत प्यार के साथ मैं यह कथन करने जा रहा हूँ... दोपहर के सूरज का जो लखलख करता स्वच्छ और अनंत प्रकाश हैं.... उसके जैसे स्वच्छ समय आपके जीवन में अब शीघ्र ही आने जा रहा हैं... आपके जीवन से अंधःकार का समय अब निवृत्ती लेने जा रहा हैं ... आने वाले वैशाख मास में विशाखा नक्षत्र की पूर्ती होने से पहले ही... आपके जीवन में अच्छे बदलाव आने जा रहे हैं... जीवन में आपको आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही तरह के सुख प्राप्त होने जा रहे हैं.... धरती माँ पर कुछ आश्चर्यचकित कर देने वाली घटनाएँ घटेंगी जिसके आप साक्षी होंगे... आकशस्थित देवताएँ आने वाले काल में धरती पर कुछ कार्य के लिए आ रहे हैं ... उन के योग से आप अपने आराध्य की शक्तियाँ देख कर उन्ही की भक्ती में अंततः स्थित होंगे... यह ही विधिलिखित हैं... माता महालक्ष्मी के आशिर्वाद आपको नितनित काल के लिए प्राप्त हैं... अच्छा समय अब आप के लिए बस पलक झपकने की दूरी पर ही हैं... आपके जीवन का जो मार्ग हैं... उसमें आपको नित्यतः लोगोंकी सहाय्यता मिलती ही रहेगी... आज तक मंद गती से चलता आ रहा आपका जीवन अब आने वाले काल में गती पकड़ेगा... फाल्गुन महिने से देखना... कैसे बदलाव आ रहे हैं....

आज भारत देश में ना जाने क्या क्या हो रहा हैं... हे माता पार्वती, आप देख रही हैं ना? ये तो विधिलिखित हैं के आने वाले काल में भारत देश ही सबका मार्गदर्शन करेगा... जो देश भारत के साथ वैर भाव रखेंगे... वो देश अपने आप ही, अंदरूनी बीमारीयोंसे नष्टता प्राप्त करेंगे... उनके अंदर ही कुछ मानसिक चंचलताएँ आकर के उनके प्रशासन की व्यवस्थाएँ बिगड़ती जाएगी... विना किसी कारण के अगर कोई भारत देश के साथ युद्ध छेड़ दे तो.... माता दुर्गा के आशिर्वादों .... उसमे वो अपने आप ही उलझ कर दुःख प्राप्त करेंगे... ये भी तो विधिलिखित हैं, ना ? आज जनता बेचारी हैं ... मंदिरों में युद्ध हैं ... अधर्म, भूखमरी, और कुपोषण हैं... मनुष्यों का व्यापार... धर्म का, ज्ञान का ... तथा नारी का भी व्यापार हैं... तो यह तो तय हैं ... के उस वैकुण्ठवासी के आशिर्वादों से अब अधर्म पर धर्म की जीत होने का समय दूर नहीं... विश्व में कुछ जगहों पर नैसर्गिक आपत्तीयाँ, जैसे भूचाल, बाढ़, तेज़ हवा चलना, तूफ़ान, गर्मी तथा ऐसी नैसर्गिक आपत्तीयाँ जब आएँगी तब ... जैसे पूरी मानवजात के लिए कोई कठिन परीक्षा ही होगी... कल्पना कर सकते हैं... जो देश आज अपने आप को वरिष्ठ मान कर बैठे हैं.. उनकी तब क्या स्थिती होगी... परंतु माता अपने बच्चों के प्रति नित प्रीति रखती हैं... उनके आशिर्वाद से जनों को इह-पर का ज्ञान होगा.. सुख प्राप्त होगा... आने वाले समय मे, मेष तथा वृषभ मास में... जब चंद्र माता उच्च पद में स्थित होंगी तब शुभानन्द की दीर्घता का अनुभव किया जाएगा... एक अच्छी आनंददायी ख़बर कहींसे आजाएगी...

आज यहाँ पर कुछ ऐसे भी लोग उपस्थित हैं, जिन्होंने महान सिद्ध तपस्वी मुनिजनों के आशिर्वाद तथा दर्शन प्राप्त किए हैं ... ईशन के प्रकाश में स्थित पोदिगै पर्वत पर आप गए हुए थे.. वहाँ पर महान भगवान अगस्त्य महर्षी के शब्द आपने सुने... उनकी करुणा पूर्ण दृष्टी के कटाक्ष को अब आप प्राप्त हुए हैं... उन के आशिर्वाद आपको प्राप्त हुए हैं .... जिनसे आने वाले काल में आप कुछ आश्चर्यचकित कर देने वाला बल प्राप्त करेंगे... किम्बहुना आज आप को इन शब्दों का महत्त्व समझ में आए ना आए... परंतु उनके आशिर्वादों की छत्रछाया के नीचे आप हमेशा के लिए स्थित होने से.... आने वाले काल में यह मेरे शब्द आप के जीवन में संचलित होने वाले हैं, इसमें कोई संशय नहीं... इसी के साथ जो उस यात्रा में आप के साथ संमिलित थे उन सब को "श्रीपञ्चवदनम् " का दर्शन तथा आशिर्वाद प्राप्त हो चुका हैं....

... और फिर भी आप यहाँ पर इतने प्यार के साथ इस काकभृशुंडी को सुनने के लिए आए हैं... बहुत बहुत धन्यवाद.... यहाँ पर उपस्थित सभी जनों को आने वाले चार महीनों के अंदर ही माता शक्ती के आशिर्वाद तथा बल से उत्तम सुखयोग प्राप्त कर आनंदित होंगे ऐसे अनेकानेक आशिर्वाद देकर समाप्त करता हूँ.....

।। आसि आसि.... शुभम् ॥

पुज्य रमणी गुरुजी द्वारा प्रार्थना पुर्ण होने पर हां बैठे लोकों में से व्यक्ति को संबोधन करते हुए पठन चता है। कभी सामने वाला व्यक्ती तमिल भाषा के जानकर नहीं हो तो गुरुजी अंग्रेजी में सारांशरुप में बताकर आगे बढते हैं।

Shakti Arul Koodam
Padamavathy Nagar, Yeswanth Nagar, Selaiyur, Chennai, Tamil Nadu 600126, India
+91-9444466409















 

 

 

 

 

मंगलवार, 13 जून 2017

पंडित बिपिन मिश्र जी का सम्मान ....

                                        
प्रतापगढ उत्तर प्रदेश के भृगुवक्ता पं. बिपिन मिश्र तथा उनके पिताजी का शाल देकर विंग कमांडर शशिकांत ओक सम्मान कर रहें है. साथ में वार्तांकन कर रहें थे... जळगांव, महाराष्ट्र के  विवेक चौधरी...
उनके पास पाली लिपि में लिखे भृगु फल मिलते हैं।

मुक़ाबला ए क़व्वाली! ...

नाड़ीग्रंथ और नाड़ीग्रंथ के विरोधक 
मुक़ाबला ए क़व्वाली!


 नाडीग्रंथ विषय पर अभी तक बहुत सारी बाते लिखी तथा बोली गई है। पिछले कुछ सालों से इंटरनेटपर इस विषय को अनेक लोगों ने पढा तथा सराहा। साथ-साथ नाडीग्रंथो को अपनी विचारधारा के विपरीत होने के कारण ऐसे अनेक व्यक्ती तथा संस्थाओंने नाडीग्रंथोंपर अपने विरोधी व्यक्तव्य जारी किए। इन विरोधकों को नाडीग्रंथों के सामने कैसी हार खानी पडी और उनके लेखनने जिस तरह से हताशा तथा अपराध बोध की झलक दिखाई देती है। ये बुध्दीजीवी लोग अपने को स्वयंसिध्द दार्शनिक समजते है। प्रचलित शास्त्र यानी फिजिक्स, लॉजिक और गणित के सिध्दांतो को सामने रखकर शास्त्र यानी फिजिक्स एक परिपूर्ण विचार है ऐसा मानकर नाडीग्रंथो में कथित चमत्कार का हो पाना बिल्कुल असंभव है ऐसी उनकी धारणाएं है। चलो अब देखते है ऎसे कुछ लोगों के शुरू.शुरू के विचार और उनमे धीरेधीरे आया परिवर्तन।
मराठी में उपक्रम.ऑर्ग (upkram.org) नाम से एक साईट है। सन 2008 में ऐसेही नेटपर बैठे बैठे मेरा ध्यान उपक्रम पर गए। 1996-97से महाराष्ट्र में अंधश्रध्दा निर्मुलन समिती नाम से एक तर्कशिल संस्था पिछहे कई साल से कार्यरत है। उसके सर्वेसर्वा तथा कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर और खगोलविज्ञानतज्ञ तथा आंतरराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त पदभुषण डॉ. जयंत नारळीकरने नाडीग्रंथ पर टिकाटिपण्णी की। नाडीग्रंथों के खोखलेपन को एक झुठा बताते हुए (मराठी में जिसे ‘थोतांड’ कहा जाता है) एक पुस्तक भी प्रकाशित कि है। उस प्रकाशित पुस्तक में नाडीग्रंथ पर लगाए गए लांझन तथा उन आरोपों पर मेरे द्वारा तथा प्रा. अद्वयानंद गळतगे द्वारा दिए गये सटिक उत्तरों से परेशान होकर बाद में नाडीग्रंथ पर भाष्य करना बंद कर दिया।

 नाडीग्रंथ के संदर्भ में जो टिपण्णी की थी उसपर भी समर्पक उत्तर दिए थे। बाद में उन्होंने भी अपना पल्लु छाककर नाडीग्रंथ या नाडीग्रंथो के चमत्कारी होनेपर आपत्ती करना बंद कर दिया। ऐसे व्यक्ती जिन्होंने नाडीग्रंथ विरोध में अपने विचार प्रकाशित किए गए हो ऐसे व्यक्तीने अपना पुरा पुस्तक उपक्रमपर प्रकाशित किया। उसका नाम है "ज्योतिषियों के पास जानेसे पूर्व"  (मराठीं में - ज्येतिषांच्याकडे जाण्यापुर्वी) उसमे ज्योतिषशास्त्र की निर्भत्सना करते हुए उसे शास्त्र का आधार नही तथा उसे एक शास्त्र कहना भी उचित नही। ऐसे कहा गया था। उस संदर्भ में नाडीग्रंथ पर विविध धागों बहुत कुछ लिखा गया है। तो उपक्रम पर उस व्यक्ती अर्थात घाटपांडेने जो लिखा उसे देखकर मैने उपक्रमपर नाडीग्रंथ के समर्थन में लिखना शुरू किया। शुरू मे मैने ये जरूर कहा था की घाटपांडे तथा उनके वरिष्ठ लेखक स्वर्गीय माधव रिसबुड द्वारा किए गए आरोपों का खंडन हुआ है। इसलिए हम इस बहस ने लेना नही चाहते। लेकिन किसी ने नाडीग्रंथ क्या है ऎसी विचारणा की तो उसपर उसे जरूर उत्तर मिलेगा। नाडीग्रंथों पर मेरे लेख प्रकाशित होने शुरू हो गए। उपक्रम एक समाजवादी धारा के उपर काम करनेवाले तथा चमत्कार के भंडाफोड करनेवाले, देवीदेवाताओं के श्रध्दाओं स्थानो का मज़ाक उडानेवाले, तथा ब्राम्हण समाज पर जोर से प्रहार करनेवाले लेखकों के लिए एक mप्रभावशाली विचारमंच है। उनकी कार्यप्रणाली में कोई भी उनकी विचारधारा के विपरीत लिखे तो उसके कुछ सदस्य इकठ्ठे होकर उस व्यक्तीव्दारा प्रस्तुत विषय को अलग-अलग तरह से प्रहारकर उसे भौचक्का कर देते है तथा बादमे वह व्यक्ती या लेखक अपने विचार या विषय प्रस्तुत करना छोड देते है। ऎसे कई उदाहरण देखने को मिलते है। उदाहरण के तौर पर इश आपटे, दुसरे है शरद हार्डीकर, तिसरे है सतीश रावले ................

उपक्रम एक गंभीर विचारमंच है उसपर हलके शब्दों मे छेडाखानी नही होती। इसी बीच मिसळपाव यानी मुंबई की चौपाटीपर मिलनेवाला एक बहुतही स्वादिष्ट व्यंजन ‘मिसळ’ यानी मिक्चर ‘पाव’ डबल रोटी ऎसे नाम से एक साईट का मै सदस्य बना और उसपर भी अनेक प्रतिक्रियाऎ आनी शुरू हुई। परंतु मिसळपाव वेबसाईटपर कुछ ऎसे व्यक्ती जो गंभीर होने का दावा करते है परंतु असल में वे भी नाडीग्रंथों की निंदा तथा कुच्छेष्टा करते है। ऎसे नाडीनिंदको को ठिकाने लगाने का काम महर्षीयों ने मुझे सोपा हुआ है। ऎसे उनके द्वारा कह गए कथन से मुझे और लिखने की प्रेरणा मिली। चलो देखते है नाडीग्रंथ के संदर्भ में नाडीग्रंथ विरोधों की बोलती कैसे बंद हो गयी है। धनंजय, रिकामटेकडा, निले, डार्क मॅटर, वसुली, राजेश घासकडवी छोटा डॉन, यनावाला, सहज़,अदिती, गगनविहरी रामपुरी, राघव, आत्मानुभव तथा अनेक लोगों की कुछ टिपणीयाँ औरे मेरे तथा हैयोहैयैयो द्वारा दिए गए उत्तर प्रस्तुत है। हिंदी में मेरी टिप्पनी पढे। उपक्रम दिवाली अंक २०१० १) २००८ में अंनिस द्वारा ज्येतिषों को कहा गया कि आप को हम २०० कुंडलियाँ देंगे उनमें १०० कुंडलियां विकलांगोंची होंगी। आपको उनमें से विकलांगों की कुंडलियां ढूंढनी है। उसपर महाराष्ट्र राज्य ज्योतिषपरिषद नें भाग न लेने की भुमिका जताई। नाडी ग्रंथोंपर ऐसे ही शोधकार्य आगे जा कर हो ऐसा मेंने सुझाव दिया। महाराष्ट्र ज्योतिष परिषदे'ची अभिनंदनीय कृती ! 904 वाचने प्रेषक चित्रगुप्त ने उसपर टिपनी करते कहा

आगे का मैटर मराठी में....  आगे फिर हिन्दी में है...

(बुध, 05/21/2008 - 10:27) महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिती, आयुका व पुणे विद्यापीठ यांच्या संयुक्त0 विद्यमाने फलज्योतिषाची कथित वैज्ञानिक चाचणी घेण्याच्या उपक्रमावर महाराष्ट्र ज्योतिष परिषदेने बहिष्कार टाकला. पुणे विद्यार्थीगृह येथे परिषदेच्या रविवारी झालेल्या एका बैठकीत हा निर्णय घेण्यात आला. या वेळी ज्येष्ठ ज्योतिषी श्री. श्री.श्री. भट, श्री. सिद्धेश्वेर मारटकर, श्री. ओक, डॉ. धुंडीराज पाठक आदी मान्यवर उपस्थित होते. या प्रसंगी श्री. भट म्हणाले, ``अंनिसचे कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर यांनी लोकांचा विश्वा्स गमावला आहे. ही चाचणी म्हणजे लोकांची फसवणूक करण्याची त्यांची नवीन चाल आहे. या चाचणीत आम्ही सहभागी होणार नसून कोणत्याही ज्योतिषाने असली आव्हाने स्वीकारू नयेत.'' डॉ. पाठक म्हणाले, ``मुळात फलज्योतिष हे शास्त्र आहे, हे अंनिससमोर सिद्ध करण्याची गरजच काय ? ही मंडळी खोटारडी असून त्यांच्याकडून डॉ. जयंत नारळीकर यांच्या नावाचा वापर करून घेतला जात आहे. `फलज्योतिष हे शास्त्र नाही', हे अंनिसवाल्यांनी अगोदरच ठरवून टाकले आहे. या चाचणीचे खोटेनाटे निष्कर्ष जमा करून ते विधिमंडळात न्यायचे व वादग्रस्त अंधश्रद्धा निर्मूलन कायद्याचे कथित महत्त्व पटवून देऊन तो मंजूर करून घ्यायचा, हाच या चाचणीमागील मुख्य हेतू आहे. या कायद्यामुळे `ज्योतिष' या विषयावरच बंदी येणार असल्याने असल्या चाचण्यांना विरोध करण्यापेक्षा थेट या कायद्यालाच विरोध करणे ज्योतिषांच्या हिताचे ठरेल.'' ज्योतिषशास्त्राच्या अन्य एक विद्यार्थिनी मेधा करमरकर यांनीही या चाचणीवर आक्षेप घेत ``फलज्योतिष हे हिंदु धर्मशास्त्राशी निगडित असल्यानेच डॉ. दाभोलकर त्यास विरोध करत आहेत'', असे सांगितले. ``हिंदु धर्मियांना त्रास देण्याचा त्यांचा हा प्रयत्न असून असली आव्हाने ते मुसलमान व ख्रिस्ती यांना देऊ शकतील का ?'', असा परखड प्रश्ननही त्यांनी उपस्थित केला. या वेळी श्री. व.धा. भट,श्री. ओक, श्री. श्रीकृष्ण जोशी, श्री. सिद्धेश्वीर मारटकर, श्री. सतीश कुलकर्णी आदींची भाषणे झाली. श्री. शरच्चंद्र गोखले यांनी सूत्रसंचालन केले. बैठकीतील ठराव श्री. श्री.श्री. भट यांनी या प्रसंगी मांडलेल्या ठरावाला उपस्थित सर्वांनी अनुमोदन दिले. हा ठराव पुढीलप्रमाणे होता - डॉ. जयंत नारळीकर व अंनिस यांनी दिलेले आव्हान आम्हा सर्व ज्योतिषांना अमान्य आहे. ज्योतिषशास्त्राकडे पूर्वग्रहदूषितपणे पहाणार्याे अंनिसने व तिच्याबरोबर असणार्या डॉ. नारळीकर यांनी जनतेची विश्वापसार्हता गमावली आहे. ही चाचणी संशयास्पद असून तिला कोणीही प्रतिसाद देऊ नये. माझाही पाठींबा प्रेषक गुंडोपंत (गुरू, 05/22/2008 - 01:33) ही बातमी येथे दिल्या बद्दल धन्यवाद! श्री. श्री.श्री. भट यांनी या प्रसंगी मांडलेल्या ठरावाला माझाही पाठिंबा आहे. अनिस व नारळीकर यांचे भुमीका ही १००% पुर्वग्रह दूषीत जोतिष विरोधी आहे यात शंका नाही. तसेच, फक्त हिंदु धर्मातील गोष्टींना "विरोधासाठी/प्रसिद्धीसाठी विरोध" हेच ध्येय आहे असे अनिस च्या मागील कार्यावरून सहजतेने दिसून येते. त्यामुळे जोवर अनिस ही धर्मातीत/सर्व धर्मांना समानतेने वागवणारी, तसेच ज्ञानाला नाही, तर सर्व धर्मातील अंधश्रद्धांना समानतेने विरोध करणारी संस्था आहे, हे आकडेवारीने सिद्ध करत नाही, तोवर या संस्थेवर बहिष्कारच घातला पहिजे, यात शंका नाही. हे जर हे आव्हान अनिस सिद्ध करू शकत नसेल तर अनिस वर सरकारने सामाजिक सलोखा बिघवडवण्याच्या प्रयत्ना बद्दल सिमि प्रमाणेच बंदी घालावी. अंनिस पर सिमी की तरह बंदी लगनी चाहिए। आणि नारळीकरांना बेजबाबदार वक्तव्यांबद्दल कारणे दाखवा नोटिस द्यावी? आपला गुंडोपंत » • प्रतिसाद • गुंडोपंत यांना व्यनि पाठवा आवाहन व आव्हान प्रेषक प्रकाश घाटपांडे (गुरू, 05/22/2008 - 04:34) नारळीकरांनी कधीही "आव्हान" शब्द वापरला नाही. आव्हानात्मक भाषा दाभोळकरांची आहे. ती अर्थातच अंनिसच्या आव्हानाचा भाग आहे व सर्वज्ञात आहे. चळवळ म्हणले की मिळमिळीत भुमिका चालत नाही . त्या अर्थाने पुर्वग्रह दुषित म्हणता येईल. पण नारळीकरांनी हे आव्हान नसुन ज्योतिषांना आवाहन आहे असे पत्रकार परिषदेत स्पष्टपणे सांगितले होते. मिडिया ने सनसनाटी पणासाठी ते आव्हान असे छापले. नंतर खाली लिहिले हे आवाहन आहे म्हणून ही गोष्ट खरी आहे. नारळीकरांची भुमिका अर्थातच मवाळ आहे. ती ज्योतिषांना दिलेली साद आहे प्रतिसाद द्यायचा की नाहि हे ठरवण्याचा हक्क अर्थातच ज्योतिषांना आहेच. आमच्या रिसबुडांची भुमिका मात्र जहाल असायची. ते अंनिसला ही झोडपुन काढायचे आणि ज्योतिषांनाही. अंनिस वार्तापत्रात त्यांनी " थोतांड म्हणता पण का? ते सांगाल का?" या लेखात केवळ उथळ टीका करु नये असे बजावले आहे. त्यांनी तर अंनिसलाच आव्हान दिले होते कि तुम्ही सर्व्हे घेतला आहे का? थोतांड आहे हे सिद्ध करण्यासाठी तरी ज्योतिषाचा अभ्यास करा ना! मग बोला. रिसबुड की भुमिका जहाल होती थी। ज्येतिषीयों के साथ अंनिस को भी वे पीटते थे। ज्योतिष को ढकोसला या थोथापन कहना ने से पहले अंनिस को ज्योतिषशास्त्र का अभ्यास किए बिना उथलेपन से टीका नही करनी चाहिए असे उनके विचार थे। प्रकाश घाटपांडे »
• प्रतिसाद • प्रकाश घाटपांडे यांना व्यनि पाठवा प्रतिक्रिया पोहोचवल्या प्रेषक प्रकाश घाटपांडे (गुरू, 05/22/2008 - 04:09)
गुंडोपंत आणि मंडळींच्या भावना / प्रतिक्रिया नारळीकर व दाभोळकर यांच्यापर्यंत पोहोचवल्या आहेत. प्रकाश घाटपांडे २) नाडी ग्रंथांचा भांडाफोड ३) ओपन माईंड ठेवायला कुणाचीच हरकत नसते पण ४) खुले मन की बुद्धिप्रामाण्यवाद? ५) नाडीग्रंथ धागे में नाडी ग्रंथोंपर उपक्रम में लेखन करने के बंदी करनी चाहिए ऐसा कहा गया। कोई कारवाई न करने के अनेकों सुझाव मिलने पर अभीतक मेरा लेखन जारी है। ६) काय लावलय हे ओकांनी नाडीपुराण ७) सदा तुमने ऐब देखा ८) मला वादात रस नाही ९) नाडीग्रंथवाल्यांची तेंव्हाच खोड मोडली ..... १०) प्रकरण २ - नाडी ज्योतिष आणि फलज्योतिष ११) आंतरराष्ट्रीय किर्तीचे बुद्धिवादी - बी. प्रेमानंद मिसळपाववरील धागे १२) मेल्या, तुला रे काय कळतंय त्या माडी चुकलो ) नाडीग्रंथातलं? १३) आचार्य नाडीनंदाचा माडीबोध – १४) “अंनिस सर्कस” ओकांचे बोलके पत्र १५) नाडी ग्रंथ भविष्य आणि इंडॉलॉजिकल स्टडी १६) नाडीग्रंथ ताडपट्टीच्या त्या फोटोचे इतके महत्व ते काय ? १७) नाडी ग्रंथांचा प्रत्यक्ष अनुभव घेऊन शंका उपस्थित करणाऱ्यांचे समाधान १८) नाडीग्रंथवाल्यांची तेंव्हाच खोड मोडली असती - तमिल जाणकार मिळत नाही हो १९) भरकटलेली चर्चा २०) पुरावा मिळाल्याशिवाय नाडी ग्रंथांवर माझा विश्वास बसणार नाही. २१) या नाडीला लिहितो? कोण एक सारखी नसती दोन... काय थोतांड आहे तिच्यायला!... एकविसाव्या शतकात काय हे फालतु पालुपद लावुन ठेवलंय च्यामारी... ओकसाहेब, आपण साला फ्यॅन आहे तुमचा हे पुन्हा एकदा कबूल करतो..माझ्यासकट सार्यास नाडीविरोधकांना भांचोत पार जेरीस आणलंत तुम्ही, नामोहरम केलंत! नाडीदेवींचा पुन्हा एकदा विजय असो..!... नाडी केंद्रात बकरे पकडुन आणण्याचे कमिशन भेटतं काय ?.... ...हा न संपणारा मानसीक छळ आहे.... हद्द आहे बुवा. आपण तर वाचून वाचूनच थकलो.... स्वगत : नाईल, राघव, तुका म्हणे वगैरे मंडळींना शश्या ओकने पार दमवलंन!... ओकसाहेब त्यांच्या श्रद्धेबद्दल प्रामाणिक आहेत... ओकसाहेब, तुम्हाला काही समजावून घ्यायचेच नाही तर आम्हीच सांगणारे मूर्ख ठरतो. राह्यलं. यापुढे काही सांगणार नाही ब्वॉ. चालू देत तुमचे.... पोपटकडे भविष्य पहाणे अन नाडी पहाणे सारखेच समजावे लागेल..... 'नाडी' विषय आला रे आला की हहपुवा होते.[काहीच विश्वास नाही म्हणून] पण आपल्या आवडत्या विषयाशी एकरुप होऊन त्याचे महत्त्व वाचकावर बिंबवत राहण्याबाबत [ न आवडले तरी] आपल्याला तोड नाही....

 ही फुकटची करमणूक थांबवा आता साहेब!!.... (ओकसाहेब..इथे मला नाडीवाल्यांची चेष्टा करायचा उद्देश नाही (कारण अनुभव नाही)..पण जे जे आत्तापर्यंत वाचले ते काही पचनी पडले नाही).... तु ऐक सत्य ना$$$रायणा$$ची कथा ... आपल्याला समजले नाही, अथवा विश्वास नाही म्हणुन चेष्टा करणारे खुप भेटतील, तो मानवी स्वभावच आहे. पण म्हणुन तुम्ही लिहिणे थांबवु नका. तुमचे अनुभव, इतरांचे अनुभव लिहित रहा!! १) आता नवजीवनाची बरसात होणार ए ढिंका चिका, ढिंका चिका, ढिंका चिका, ढिंका चिका रे ए ए ए... रे हे ए ए.... रिंगा रीका, रिंगा रीका, रिंगा रीका, रिंगा रिंगा रेssssssssssssssss... तेच ते परत.... नाड्या प्रत्येक वेळी नवीन कशाला बनवायला हव्यात? काहीतरी गिरगटलेलं फक्त त्यांनाच समजतं हे एकदा मान्य केलं की एका नाडीकेंद्राला १०-१५ नाड्या पुरतात की. तीच तीच परत परत आणून वाचायची कुणाला काय कळतंय? बिगरतमिळ माणसाला तमीळ म्हणून सांगायचं तमीळ माणसाला कूट तमीळ म्हणून सांगायचं... "तस्मात कुंभार हो गाढवास तोटा नाही" हे या बाबतीत शब्दशः लागू होतं... असो चालू द्या... फॉरेनमधूनही एखादी व्यक्ती तिच्या "लिखित" वेळेनुसार नाडी बघायला येऊ शकते. ती फॉरेनर असली तरी तिची नाडी मिळते.... जेव्हा आमच्या पैकी कोणीतरी केंद्रात जाईल आणि अभिप्राय लिहिल. ठीक?....
श्री ओक पुन्हा पुन्हा शेकडो धागे काढुन आणि संख्येनं पावसाच्या थेंबांइतक्या प्रचंड प्रतिक्रिया देउन हिमालयाइतक्या आत्मविश्वासाने क्वचित होणारी टिंगल्ही झेलुन नाडीचं जे समर्थन करायचे, त्यातुन ते खरच प्रामाणिक आहेत का काय असं वाटायचं..... धन्यवाद। इसके बाद आप को दि गयी लिंक पर
हिन्दी में 
नाडीग्रंथोंपर भाग दोन इसमें मै नाडीग्रंथो पर एक अगल तरह से प्रकाश डालना चाहता हूँ। पुणे में कोरेगाव पार्क स्थित नाडी केंद्र में ऎसे अनेक महर्षिओंकी ताडपत्तीयाँ उपलब्ध हो रही है। जो पहले कभी नही देखी गयी थी। जैसे की वेदव्यास, ब्रम्ह, भ्रूगु, रावण, कमल, चंद्रकला, सूर्यकला, नंदी, अत्री, काक भूजंड, आदी महर्षिओं की पट्टीया शामील है। इन पट्टीओंमे से कुछ पट्टीया नाडीग्रंथों के अभ्यास केंद्रअंतर्गत हमारे पास दि गयी तथा कुछ ................... का स्कॅन उपलब्ध है। इन पट्टीओंपर अभ्यास तथा नाडीग्रंथों के प्रथम में दिखाई देने वाली अदभुत कार्यशैली और काव्यालंकारों का रसग्रहण चल रहा है। नाडीग्रंथों की कुटलिपी में लिखितकाव्य में, व्याकरण, और यमक, मात्रा, गण और शब्दसंकेतोंको देखकर ऎसा प्रतित होता है की भविष्यकथन से भी वो अदभुत है। ऎसी काव्यों की धाराए हरएक व्यक्ती के संदर्भ में करना तथा आनेवाले भविष्य के संकेत देकर मार्गदर्शन करना ऎसी पध्दती दुनिया में और कोई भाषा में प्रचलित नही है। ऎसे अभिपत्य के शोध खोजबीन के बाद कहा जाता है। इस संदर्भ में हय्यो हय्ययो नाम के व्यक्तीव्दारा लिखे गए कुछ शोधकार्य प्रस्तुत है। हय्यो हय्ययो ने अपने निबंधक प्रस्तुती में नाडीग्रंथ रचनों का भाषाओं का तथा काव्य दृष्टीकोन अभ्यास किया और उन्हे जो हात लगा उसे .................. माना जाना चाहिए। हय्यो हय्ययो व्दारा लिखा गया। कुटनिती नाम का इंग्रेजी में, मराठी में तथा तमिळ भाषा में प्रस्तुत किया। इनस्टीट्युट ऑफ एशियन स्टडीज नाम की एक इंडॉलॉजी पर काम करनेवाली ..... संस्था को उनके एक आंतरराष्ट्रीय अधिवेशन प्रस्तुत किया गया।

बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

Android App on comparison of Naadi Maharishi with Nostradamus! Decide Who is better?

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