पुज्य रमणी गुरुजी काक भुजंदर जीव नाड़ी का पठन शुरु करने से पहल एक वंदना करते हैं। उसका महत्व तथा अर्थ बहुत कम तमिलभाषियों को समझ में आता है। उसे प्रस्तुत किया जा रहा है।
शक्ती, सिद्धी और बुद्धी के दाता जटाधर भगवान शिवजी, जो अखिल जगत के लिए परमानन्ददायी है, उनके चरणस्पर्श करके.... तथा "वेल" नाम का आयुध धारण करनेवाले जो भगवान कन्दस्वामी षण्मुखन्जी हैं, उनके चरणस्पर्श करके..... तथा भगवान श्री चतुर्मुखी गणेशजी के भी चरणस्पर्श करके और साथ ही भगवान श्री महाविष्णुजी के चरणस्पर्श करके ..... अटूट भक्ती के साथ माता शंकरीजी को नमस्कार करके.... मन में सुकर्म, अच्छे कर्म याचना के साथ ही माता पार्वतीजी के चरणस्पर्श करके.... जो स्वयम् ॐ कारस्वरूप है, जो स्वयम् प्रकाशरूप में स्थित हैं... जो स्वयम् अकार उकार मकार आज शरीररूप धारण कर सच्चिदानन्दरूप आशिर्वादोंकी वर्षा कर रहा हैं... जो स्वयम् खुले अंबर के नाथ है ... जिसके बताए हुए मार्ग पर अखिल ब्रह्माण्ड स्थित हैं... जिसने प्रकृतिस्वरूप उमामहेश्वरीजी को अपना आधा शरीर प्रदान किया है... उन कैलासपति भगवान शंकरजी के आशिर्वादोंसे आज यहाँ पर इकठ्ठा हुए आप सब लोगोंके आयुष्य में आनंद, सुख, अच्छाईयाँ नितनित के लिए प्रस्थापित रहें ऐसी प्रार्थनाएँ हैं।
हे उमामहेश्वरजी, आपके आशिषदायी चरणकमलोंकी पूजा करके मैं स्वयम् काकभृशुंडी आज के दिन का गणित प्रस्तुत करता हूँ ... आज रविवार का शुभ दिन हैं.. मेषराशी में चंद्र भगवान ज्ञानदायी भगवान केतु के साथ स्थित हैं... ऐसे प्रस्तुत काल पर कुछ लोग अनेक श्रम अनेक कष्ट उठाकर अपने-अपने मार्गोंको ढूँढते हुए कहाँ कहाँ से आए हैं.. इन लोगों के कर्ममार्ग में कुछ बीते समय में कुछ रुकावटे, कुछ अडचनें आती रही हैं ... यहाँ पर उपस्थित किसी के मन में ... आने वाले समय में क्या होने जा रहा हैं... क्या जो होगा वो अच्छा ही होगा? ऐसी स्थिती में हमें क्या करना चाहिए? इस तरह के कुछ प्रश्न उपस्थित हो चुके हैं.. लगभग बीते चार महिनोंसे इनकी यह स्थिती बनी हुई हैं... इनके लिए मैं काक भृशुंडी जो कहने जा रहा हूँ, वह इन्होंने कृपया कर ध्यान से सुनना चाहिए... आज रविवार हैं... इस शुभ दिन के अवसर पर इस वाक्य को सुनने का भाग्य जिन्हें प्राप्त हैं... वो चाहे कोई भी हो... वो भाग्यशाली हैं... अब प्रथमत: भगवान गणेशजी की प्रार्थना करते हैं... हे करुणामूर्ती भगवान गणेशजी, आपके आशिर्वादोंके प्रकाश में हम सब बालक नितनित काल के लिए स्थित अपने अंदर की अहंता को नष्ट करने के पश्चात् जो आनंद शेष रहता हैं, उस आनंद की तुलना विश्व में और किसी भी आनंद से हो नही सकती.... यहाँ पर प्रस्तुत लोगोंके जो प्रश्न हैं... उनके उत्तर आपको शीघ्र ही मिलें ऐसे आशिर्वाद स्वयम भगवान गणेशजी अपनी शुंडी उठाकर दे रहे हैं... इन आशिर्वादोंकी कृपा से आप लोगोंके मन के भीतर से सारा भय निकल जाए.. आपको आंतरिक आनंद की प्राप्ती हो... आने वाले समय में अनेक आश्चर्यचकित करनेवाली घटनाओं का अनुभव करने की शक्ती आपको प्राप्त हो... जिसके मन में भविष्य काल से संबंधित यह प्रश्न है... आप ये भविष्य घटता हुआ देखेंगे, तथा इसे देखने के लिए आपको अतिशय बल की प्राप्ती होगी, इसमें कोई संशय नहीं हैं... पूर्णता और दीर्घता को आप संपूर्ण रूप से देखेंगे... मेरे इस कथन का आधार ...? भगवान सूर्य मकर राशी में संक्रमण कर चुके हैं ... आने वाले समय मे, जब भगवान सूर्य मेष राशी में तथा वृषभ राशी में संक्रमित होंगे... तब आपके हृदय के भीतर से ही.. जो आपके आज प्रश्न हैं, उनके उत्तर प्रस्तुत होंगे... संपूर्ण प्रकाश की सहाय्यता के साथ, जिन कार्यों के बारे में सोचा भी नही जा सकता, ऐसे कुछ कार्य ... सारे बिना किसी रुकावटोंके पूर्ती को प्राप्त होते हुए आप स्वयम् अनुभव करेंगे.....
जानते तो हैं... फिर भी एक कौवे के रूप में उपस्थित मुझसे चीख-चीख कर कहलवाते हैं... क्या लीला हैं .... जैसे कोई मनुष्य अपने रास्ते पर स्थित होता हैं, तो उसकी दृष्टी क्षितिज तक ही सीमित होती हैं... परंतु पेड़ पर बैठा हुआ एक कौवा, भगवान ने दी हुई अपनी तीक्ष्ण दृष्टी का प्रयोग कर दूर तक का देख लेता हैं... भगवान का आशिर्वाद ही आधार हैं.. यही लीला भी हैं .... ये सब आप आने वाले काल में आँखोंसे देखेंगे... कानोंसे सुनेंगे... अब ... आप के मार्ग में जो सारी रुकावटें, जो सारी अड़चनें थी वो सब दूर-दूर निकल गई हैं... आने वाले काल में आप अद्भुत सुखनाद बृहदानंद के साथ पाओगे... वो भी आनंदित होंगे, मेरे भाई..! श्री तिरुमगल महालक्ष्मीजी के आशिर्वाद की आप पर वर्षा होने का समय अब आ चुका हैं....
हे सर्व साक्षी भगवान सूर्यदेव.. जैसे आपका प्रकाश स्वच्छ हैं... वैसे स्वच्छ... महाराज दशरथ के कुल में उत्पन्न हुए... सुपुत्र जो स्वयम् करुणामूर्ती हैं... महान तपस्वी हैं... ग्रहोंनक्षत्रों पर राज्य करते हैं... वो यहाँ बैठे हैं... वो तो श्रीराम ही हैं.... हे भगवान ये सारी पृथ्वी माता नित नित आपकी पूजा करती हैं... अहो भाग्य हैं... माता सीता के साथ स्वयम् भगवान श्रीराम यहाँ पर उपस्थित हैं... भय से कंपित, सदैव चिंतित तथा आनंदित इस सारी धरती माँ को आने वाले काल में आप ही मार्ग दिखाएँगे... आप ही इन्हें प्रकाश का सत्य स्वरूप समझाएँगे... आप ही इनके प्रश्नों का उत्तर होंगे....
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यहाँ पर कोई सीतारामन नाम के व्यक्ती उपस्थित हैं क्या?
हाँ जी, यहाँ पर बैठा हूँ, पीछे....
ओहोहो... नमस्कारम्, नमस्कारम्...
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....तो मैं काकभृशुंडी, बहुत प्यार के साथ ये कथन करता हूँ... के यहाँ पर उपस्थित जनोंके आयुष्य में कभी कोई ख़ामियाँ नहीं रहेंगी.... सब को नितनित के लिए धन की प्राप्ती, आनंद, सुख की प्राप्ती होती रहेगी... चाहे आपको मेरी यह भाषा समझ में आए, चाहे ना समझ में आए... परंतु चेन्नै नगर में मेरे यह शब्द सुनने के लिए जो आप सब लोग यहाँ पर इकट्ठे हुए हो... ये शब्द ध्वनी रूप से आपकी आत्मा तक जाएँगे... और यथोचित समय पर वो अपने आप ही संचलित हो जाएँगे.... आपके कार्यकाज में, आपके व्यवसायों में... आपकी धन प्राप्ती में ... आपको नित्य लाभ प्राप्ती होगी... आपके हाथोंसे धर्म कार्य होंगे.... जिस जिस कार्य की पूर्ती करने के लिए आप सोचेंगे... वो सब कार्य आपके हाथोंसे पूर्ण हो जाएँगे... उचित विषयों का ज्ञान उचित समय पर आपको सहाय्य के स्वरूप में प्राप्त होगा... आप स्वयम् के आयुष्य में तो सब ठीक होगा ही, साथ में ही आप दूसरों के आयुष्य में सहाय्यता करने की क्षमताएँ प्राप्त करेंगे... यह कथन मैं स्वयम् काकभृशुंडी... भूमाता को साक्षी रख कर कह रहा हूँ...
हे भगवान महाविष्णु के नाम धारण करनेवाले व्यक्ती, आप को माता अन्नपूर्णा के संपूर्ण आशिर्वाद प्राप्त हैं .... आपके जीवन का जो आधार था वो ही नही रहा.. आपके कर्ममार्ग में कुछ रुकावटे आती गई... मैं जानता हूँ के आपके भविष्य काल को लेकर आप चिंतित हैं... आने वाले काल में आपके जीवन में सब अच्छा ही होने जा रहा हैं, चिंता ना करें... आपके जीवन में आप पूर्णता को प्राप्त कर दीर्घायु पाएँगे... समय ने आपके सामने जो प्रश्न खड़े कर दिये थे... उनके उत्तर भी आपके सामने समय के साथ ही आएँगे... छाती पीट के कहता हूँ, चिंता ना करें... मैं देख रहा हूँ आपके लिए आनंदभरा जीवन प्रतीक्षा कर रहा हैं... जो आप सोचेंगे वो हो जाएगा... आप अपने सारे कर्तव्य यथा शक्ती निभाएँगे... हे भगवान सूर्यदेव के कुल में जन्मे मेरे प्रिय... आने वाले फाल्गुन मास में २० वी तिथी के पहले ही... ऐसी कुछ घटनाएँ घटेंगी, जिनके योग से आपके कर्ममार्ग में आपको कुछ सरलताएँ प्रस्तुत होती हुई दिखेंगी... जिनसे आप सुखी होंगे.... आज के काल में जो आप के मन में दुविधाएँ हैं ... वो सब इस समय के पश्चात् दूर हो जाएँगी... माता शक्ती के आशिर्वादों आप के सब कार्य त्वरीत ही सिद्ध हो जाएँगे... यह कृपया आप जान लीजिए....
आज यहाँ पर कुछ ऐसे लोग उपस्थित हैं, जिनके साथ बात करते हुए मैं काकभृशुंडी अति आनंदित हो रहा हूँ... बहुत प्यार के साथ मैं यह कथन करने जा रहा हूँ... दोपहर के सूरज का जो लखलख करता स्वच्छ और अनंत प्रकाश हैं.... उसके जैसे स्वच्छ समय आपके जीवन में अब शीघ्र ही आने जा रहा हैं... आपके जीवन से अंधःकार का समय अब निवृत्ती लेने जा रहा हैं ... आने वाले वैशाख मास में विशाखा नक्षत्र की पूर्ती होने से पहले ही... आपके जीवन में अच्छे बदलाव आने जा रहे हैं... जीवन में आपको आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही तरह के सुख प्राप्त होने जा रहे हैं.... धरती माँ पर कुछ आश्चर्यचकित कर देने वाली घटनाएँ घटेंगी जिसके आप साक्षी होंगे... आकशस्थित देवताएँ आने वाले काल में धरती पर कुछ कार्य के लिए आ रहे हैं ... उन के योग से आप अपने आराध्य की शक्तियाँ देख कर उन्ही की भक्ती में अंततः स्थित होंगे... यह ही विधिलिखित हैं... माता महालक्ष्मी के आशिर्वाद आपको नितनित काल के लिए प्राप्त हैं... अच्छा समय अब आप के लिए बस पलक झपकने की दूरी पर ही हैं... आपके जीवन का जो मार्ग हैं... उसमें आपको नित्यतः लोगोंकी सहाय्यता मिलती ही रहेगी... आज तक मंद गती से चलता आ रहा आपका जीवन अब आने वाले काल में गती पकड़ेगा... फाल्गुन महिने से देखना... कैसे बदलाव आ रहे हैं....
आज भारत देश में ना जाने क्या क्या हो रहा हैं... हे माता पार्वती, आप देख रही हैं ना? ये तो विधिलिखित हैं के आने वाले काल में भारत देश ही सबका मार्गदर्शन करेगा... जो देश भारत के साथ वैर भाव रखेंगे... वो देश अपने आप ही, अंदरूनी बीमारीयोंसे नष्टता प्राप्त करेंगे... उनके अंदर ही कुछ मानसिक चंचलताएँ आकर के उनके प्रशासन की व्यवस्थाएँ बिगड़ती जाएगी... विना किसी कारण के अगर कोई भारत देश के साथ युद्ध छेड़ दे तो.... माता दुर्गा के आशिर्वादों .... उसमे वो अपने आप ही उलझ कर दुःख प्राप्त करेंगे... ये भी तो विधिलिखित हैं, ना ? आज जनता बेचारी हैं ... मंदिरों में युद्ध हैं ... अधर्म, भूखमरी, और कुपोषण हैं... मनुष्यों का व्यापार... धर्म का, ज्ञान का ... तथा नारी का भी व्यापार हैं... तो यह तो तय हैं ... के उस वैकुण्ठवासी के आशिर्वादों से अब अधर्म पर धर्म की जीत होने का समय दूर नहीं... विश्व में कुछ जगहों पर नैसर्गिक आपत्तीयाँ, जैसे भूचाल, बाढ़, तेज़ हवा चलना, तूफ़ान, गर्मी तथा ऐसी नैसर्गिक आपत्तीयाँ जब आएँगी तब ... जैसे पूरी मानवजात के लिए कोई कठिन परीक्षा ही होगी... कल्पना कर सकते हैं... जो देश आज अपने आप को वरिष्ठ मान कर बैठे हैं.. उनकी तब क्या स्थिती होगी... परंतु माता अपने बच्चों के प्रति नित प्रीति रखती हैं... उनके आशिर्वाद से जनों को इह-पर का ज्ञान होगा.. सुख प्राप्त होगा... आने वाले समय मे, मेष तथा वृषभ मास में... जब चंद्र माता उच्च पद में स्थित होंगी तब शुभानन्द की दीर्घता का अनुभव किया जाएगा... एक अच्छी आनंददायी ख़बर कहींसे आजाएगी...
आज यहाँ पर कुछ ऐसे भी लोग उपस्थित हैं, जिन्होंने महान सिद्ध तपस्वी मुनिजनों के आशिर्वाद तथा दर्शन प्राप्त किए हैं ... ईशन के प्रकाश में स्थित पोदिगै पर्वत पर आप गए हुए थे.. वहाँ पर महान भगवान अगस्त्य महर्षी के शब्द आपने सुने... उनकी करुणा पूर्ण दृष्टी के कटाक्ष को अब आप प्राप्त हुए हैं... उन के आशिर्वाद आपको प्राप्त हुए हैं .... जिनसे आने वाले काल में आप कुछ आश्चर्यचकित कर देने वाला बल प्राप्त करेंगे... किम्बहुना आज आप को इन शब्दों का महत्त्व समझ में आए ना आए... परंतु उनके आशिर्वादों की छत्रछाया के नीचे आप हमेशा के लिए स्थित होने से.... आने वाले काल में यह मेरे शब्द आप के जीवन में संचलित होने वाले हैं, इसमें कोई संशय नहीं... इसी के साथ जो उस यात्रा में आप के साथ संमिलित थे उन सब को "श्रीपञ्चवदनम् " का दर्शन तथा आशिर्वाद प्राप्त हो चुका हैं....
... और फिर भी आप यहाँ पर इतने प्यार के साथ इस काकभृशुंडी को सुनने के लिए आए हैं... बहुत बहुत धन्यवाद.... यहाँ पर उपस्थित सभी जनों को आने वाले चार महीनों के अंदर ही माता शक्ती के आशिर्वाद तथा बल से उत्तम सुखयोग प्राप्त कर आनंदित होंगे ऐसे अनेकानेक आशिर्वाद देकर समाप्त करता हूँ.....
।। आसि आसि.... शुभम् ॥
पुज्य रमणी गुरुजी द्वारा प्रार्थना पुर्ण होने पर वहां बैठे लोकों में से व्यक्ति को संबोधन करते हुए पठन चलता है। कभी सामने वाला व्यक्ती तमिल भाषा के जानकर नहीं हो तो गुरुजी अंग्रेजी में सारांशरुप में बताकर आगे बढते हैं।
Shakti Arul Koodam
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