बुधवार, 3 फ़रवरी 2016
Android App on comparison of Naadi Maharishi with Nostradamus! Decide Who is better?
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This app is aimed to create awareness about Ancient Maharishi’s work on palm leaves in old Tamil language, called “Naadi Ole Palm Leaf Predictions “. This app provider views Naadi Maharishi’s work as service to humanity. It is no way connected with any of the Naadi centers providing the Naadi reading Facilities. Options provided for expressing Naadi Reading Experience / opinions in ‘Feedback’ section are expected to be as a matter of fact and devoid of exaggeration.The opinions expressed by the visitors not to be taken as criticism but as guidance for further improvement by the concerned persons/centers. This app neither challenges nor accepts any challenge from any rationalist organisations or Individuals. Fees collected from Addresses provided will be utilised for conducting Workshops, Conferences on Naadi Related Indological academic topics from time to time and to make App sustainable and long lasting.
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- Frequently asked Questions About Naadi Granthas
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पुज्य रमणी गुरुजी पुणे में 2016
Ramani Guruji Giving Naadi Reading at Pune on 1 Feb 2016 भाग 1
पुज्य रमणी गुरुजी पुणे पधारे थे । तब के पठण का आनंद ले लें।
Pujya Ramani Guruji had come to Pune to take some rest from his busy schedule at Tambaram Ashram. He generally resides At Shri Jayaraman ji's residence. His Wife Vimala and her sister Sarala are Guruji's very old devotees from their childhood.
Here is the part pertaining to Shashikant Oak.pf the reading on 1st Feb 2016. Jayaramanji hinted to Oak that Guruji was particularly asking me to confirm has he called "Commandera" which he used to Call him since his acquaintance at Air Force station in Tambaram.
The significance of that was revealed when the reading on that evening went for 15 minutes only for Oak. It is rare in general happening.
Here is the part pertaining to Shashikant Oak.pf the reading on 1st Feb 2016. Jayaramanji hinted to Oak that Guruji was particularly asking me to confirm has he called "Commandera" which he used to Call him since his acquaintance at Air Force station in Tambaram.
The significance of that was revealed when the reading on that evening went for 15 minutes only for Oak. It is rare in general happening.
उसे अगले भाग मे देखें ।
बुधवार, 25 फ़रवरी 2015
नाशिक मधील नाडीकेंद्राचे चीफ नाडीवाचक पी बाबुस्वामींचे हिन्दी में मनोगत
नाशिक मधील नाडीकेंद्राचे चीफ नाडीवाचक पी बाबुस्वामींचे हिन्दी में मनोगत
विविध नाडीग्रंथ केंद्रवाचकांच्या मुलाखती घेऊन त्यांच्या बद्दलची सामान्य माहिती गोळा करण्याचे काम कार्यशाळा 2011 मधे केले गेले. त्यातील (हिन्दी में) एक मुलाखत...
पी बाबुस्वामीचे नाशिकला द्वारका भागात नाडी केंद्र गेले 7-8 वर्षे सुरू आहे. आपल्या कुटुंबासह ते नाशिकात राहतात. अनेक लोकांनी त्यांच्या नाडीकथनातून लाभ घेतला आहे. नाडी वाचक महर्षींच्या कथनातून लोकांच्या समस्या सोडवायला मानसिक आधार देण्याचे काम आनंदाने करतात. श्री श्री रविशंकरांनी आपले स्वतःचे कथन त्यांच्याकडून ऐकले आहे. त्यांच्यासारख्या जगप्रसिद्ध व्यक्तीपासून ते सामान्य लोकांना त्यांच्या कथनाने समस्यापुर्तीचे समाधान लाभले आहे.
मी नुसता नाडीग्रंथ वाचक आहे असे न मानता, ज्याअपेक्षेने लोक नाडी महर्षींकडे पहातात त्यामुळे आम्हाला या व्यवसायाचा बाजार करणे मान्य नाही. इतर काय करतात यापेक्षा मी या व्यवसायातील साधन शुचितेचे भान राखतो का याचा सतत विचार करून, ग्राहकाला परतताना आपल्याला काही नविन मिळाल्याचे समाधान नक्की करून देतो असे त्यांचे म्हणणे आहे.
तुटक हिंदीतून असले तरी त्यांचे कथन रसाळ व भावनिक आहे. असे त्यांच्या कथनातून जाणवते.
विविध नाडीग्रंथ केंद्रवाचकांच्या मुलाखती घेऊन त्यांच्या बद्दलची सामान्य माहिती गोळा करण्याचे काम कार्यशाळा 2011 मधे केले गेले. त्यातील (हिन्दी में) एक मुलाखत...
पी बाबुस्वामीचे नाशिकला द्वारका भागात नाडी केंद्र गेले 7-8 वर्षे सुरू आहे. आपल्या कुटुंबासह ते नाशिकात राहतात. अनेक लोकांनी त्यांच्या नाडीकथनातून लाभ घेतला आहे. नाडी वाचक महर्षींच्या कथनातून लोकांच्या समस्या सोडवायला मानसिक आधार देण्याचे काम आनंदाने करतात. श्री श्री रविशंकरांनी आपले स्वतःचे कथन त्यांच्याकडून ऐकले आहे. त्यांच्यासारख्या जगप्रसिद्ध व्यक्तीपासून ते सामान्य लोकांना त्यांच्या कथनाने समस्यापुर्तीचे समाधान लाभले आहे.
मी नुसता नाडीग्रंथ वाचक आहे असे न मानता, ज्याअपेक्षेने लोक नाडी महर्षींकडे पहातात त्यामुळे आम्हाला या व्यवसायाचा बाजार करणे मान्य नाही. इतर काय करतात यापेक्षा मी या व्यवसायातील साधन शुचितेचे भान राखतो का याचा सतत विचार करून, ग्राहकाला परतताना आपल्याला काही नविन मिळाल्याचे समाधान नक्की करून देतो असे त्यांचे म्हणणे आहे.
तुटक हिंदीतून असले तरी त्यांचे कथन रसाळ व भावनिक आहे. असे त्यांच्या कथनातून जाणवते.
"सब कुछ लिखा है!"
"सब कुछ लिखा है!"
ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा अपनी ब्रह्म सुक्ष्म नाड़ी पट्टी ढूँढने के प्रथमानुभव का उदाहरण देकर दृढ़ विश्वास से कहते है - नाड़ी ग्रंथ का एक एक पत्ता बताता
है - यहां "सब कुछ लिखा
है!"
"सर, प्रणाम, मैं पुणे के रास्ते पर फ्लाईट में हूँ।" विंग कमांडर (तब) राकेश नंदा, मेरे सबसे अच्छे दोस्त का
यकायक सुबह फोन आया। सामान्य रूप से उनकी आवाज की गूंज़ नहीं थी। इसलिए मैं पूछा, ‘सब कुछ ठीक है? उन्होंने कहा, "सॉरी सर, रेणु - मेरी पत्नीने उसकी माँ को खो दिया है और इसलिए हम पुणे के रास्ते पर विमानसे आ रहे हैं। मैं पहुंचने पर संपर्क करूंगा।"
10:30 सुबह बजे के आसपास, मैं तैयार हो रहा था, राकेश का फिर फोन आया कि वह अपने ससुराल में अपनी पत्नी को पहुंचाकर वापसी के टिकट बुकिंग के लिए पुणे रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया है। राकेश ने पूछा, "क्या हम कहीं मिल सकते हैं?"। उस दिन के कार्यक्रम तथा घर की परिस्थितीपर विचार कर, मैंने कहा, "आप कोरेगांव नाड़ीकेंद्र पहुंच सकते हो क्या ?” क्योंकि हमारे विचार विनिमय का केंद्र बिंदु नाड़ी ग्रंथ ही था। सोचा मेरे लिए भी आधे रास्तेपर पहुंचने में आसानी रहेगी और उन्हे भी। राकेशने कहा, "समस्या नहीं सर, मैं कोरेगांव पार्क स्थित नाड़ी ग्रंथ सेंटर में आप का इंतजार करूंगा।" उन्होंने बिना हिचक के उत्तर दिया।
जब तक मैं नाड़ी ग्रंथ केंद्र में पहुँचा, राकेश पहले से ही चीफ नाड़ी ग्रंथ ज्योतिषी श्री शिवषण्मुगम को अपने अंगूठे का निशान दे बैठे थे। कहने लगे, "सर चीफ नाडी वाचक शिवाने मुझे बताया कि उनके पास ब्रह्मा सुक्ष्म नाड़ी के पैकेट उपलब्ध है। मैंने अब तक ब्रह्मसूक्ष्म नाड़ी का अवलोकन नही किया है। सोचा आज कर लूं। ब्रह्मा महर्षि द्वारा लिखित नाडी के बारे में मैंने आपसे बहुत कुछ सुना है, लेकिन अपना खुद का उन भविष्यवाणियों की जांच करने का मौका नहीं मिला। इसलिए, सर बस जिज्ञासा से, मेरे अंगूठे का निशान दिया है।“ सुनकर मैं भी खुश हुआ।
10:30 सुबह बजे के आसपास, मैं तैयार हो रहा था, राकेश का फिर फोन आया कि वह अपने ससुराल में अपनी पत्नी को पहुंचाकर वापसी के टिकट बुकिंग के लिए पुणे रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया है। राकेश ने पूछा, "क्या हम कहीं मिल सकते हैं?"। उस दिन के कार्यक्रम तथा घर की परिस्थितीपर विचार कर, मैंने कहा, "आप कोरेगांव नाड़ीकेंद्र पहुंच सकते हो क्या ?” क्योंकि हमारे विचार विनिमय का केंद्र बिंदु नाड़ी ग्रंथ ही था। सोचा मेरे लिए भी आधे रास्तेपर पहुंचने में आसानी रहेगी और उन्हे भी। राकेशने कहा, "समस्या नहीं सर, मैं कोरेगांव पार्क स्थित नाड़ी ग्रंथ सेंटर में आप का इंतजार करूंगा।" उन्होंने बिना हिचक के उत्तर दिया।
जब तक मैं नाड़ी ग्रंथ केंद्र में पहुँचा, राकेश पहले से ही चीफ नाड़ी ग्रंथ ज्योतिषी श्री शिवषण्मुगम को अपने अंगूठे का निशान दे बैठे थे। कहने लगे, "सर चीफ नाडी वाचक शिवाने मुझे बताया कि उनके पास ब्रह्मा सुक्ष्म नाड़ी के पैकेट उपलब्ध है। मैंने अब तक ब्रह्मसूक्ष्म नाड़ी का अवलोकन नही किया है। सोचा आज कर लूं। ब्रह्मा महर्षि द्वारा लिखित नाडी के बारे में मैंने आपसे बहुत कुछ सुना है, लेकिन अपना खुद का उन भविष्यवाणियों की जांच करने का मौका नहीं मिला। इसलिए, सर बस जिज्ञासा से, मेरे अंगूठे का निशान दिया है।“ सुनकर मैं भी खुश हुआ।
इस बीच शिवा एक तलवार के आकार का पैकेट अपने दोनों हाथों में पकड़े आए। इतना लंबा ताड़ का पत्र
अप्रत्याशित था। राकेश जी इतनी लंबाई के ताड़ के पत्तों को देखकर हैरान रह गए। (बाद में हमने ताड़पत्र को नापा, तो लगभग 30 इंच का पाया) बारीकी से देख कर लगा कि पत्र पर तीन स्तंभों में लिखा था। पीछे की ओर कुछ लाइने एक छोर से दूसरे तक बिना किसी रुकावट से लिखी थी।
‘स्वामी!, हम खोज शुरू करते हैं!’ शिवा अपने भारी तमिल लहजे में
कहा, हमें पढ़ने के अंदर के कमरे के लिए स्थानांतरित
करने के लिए संकेत किया। सबसे पहले, लगभग 10 से 15 पत्ते में
राकेश की जानकारी के साथ मेल नहीं
थे इस कारण खारिज किए गए। धीरे - धीरे, एक पत्ता पढ़ा जाने लगा। एक पट्टी में हर उत्तर राकेश सकारात्मक देने से विवरण की पुष्टि हो गई। उनका नाम, माता-पिता, पत्नी का नाम, अंत में उनका जन्म दिनांक आदी शत प्रतिशत सही होनेपर, हम जान गए कि राकेश की ताड़पत्री मिल गई है। फिर हम उनके बाहरवाले कमरे में आकर
बैठ गए। तब तक शिवा हमारे सामने टेबुल पर उक्त ताड़पत्री को सामने रखकर एक नोटबुक
में उसमे लिखा कथन अपने हाथ से लिखने बैठे। ताड़पत्ती पर लिखे कूट लिपी को आधुनिक तमिल लिपि में समझकर उसकी नकल उतारना एक महत्वपुर्ण अंग है। आज कल के ग्राहक
तमिल भाषा में लिखे कथन को तमिल न आने के कारण जादा अहमियत नही देते, समय की कमी,
तथा नाड़ी केंद्रों में भीड के कारण कई केद्र में नोटबुक में लिखकर देने का प्रघात
आजकल थोडा कम हो गया है। फिर भी शिवा जैसे नाड़ी वाचक
आजभी नोटबुक लिखने की प्रथा को जारी रखे हुए है। शिवा के बगल में बैठे, हम अपने भीतर बातचीत
शुरू की। शिवा उनके ताड़पत्र का लेखन किए जा रहे थे, और हम भी यह देख रहे थे। एक जगह नोटबुक लिखना छोड़ हमारी तरफ ताडपत्री के कुछ अंश दिखाकर बोले, ‘ये देखो, आपका नाम - 'राकेश' (स्वयं), 'सुरेंद्र' (पिता), 'चंचल' जैसे नामों के प्रत्येक
कैसे (माँ), और 'रेणु' (पत्नी) के नाम प्राचीन तमिल लिपि में लिखे पाए जाते हैं। हथेली पर पत्री रखकर हमने निरीक्षण किया तथा पाया की अक्षर कैसे दिकाई देते हैं। इसके बाद फिर उनका लेखन जारी हुआ, और हम हमारी चर्चा।
फिर एक बार शिव अचानक एक जगह पर लेखन
रोक कर राकेश की ओर देख कर बोले, "स्वामी, आपके माता-पिता, के संदर्भ में एक अस्पष्ट उल्लेख जो मेरी समझ में नहीं आ रहा। आप इस पर कुछ प्रकाश ड़ाल सकते हैं?" शिव कहने लगे कि '50 संख्या का कुछ महत्त्व है?, यह लिखा है " (जो जातक इस पत्ती से परामर्श करने जिस दिन आ गया है) उसके माता पिता के लिए बहुत खास दिन है।" जो वह
समझ नहीं पा रहा था । राकेश लगभग कूद कर कहने लगे, "हाँ! जी हाँ! दरअसल आज मेरे माता - पिता के लिए 50 विवाह की सालगिरह का दिन होता है। हम राजस्थान में अपने गृहनगर जोधपुर में शानदार तरीके से इसे
मनाने के लिए तैयार थे, लेकिन मेरी सास के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के कारण, हमने समारोह रद्द कर दिया है और पुणे के लिए निकल पडे।
मेरे माता - पिता को भी उड़ान द्वारा इस दोपहर तक
पुणे पहुँचने चाहिए, अंतिम संस्कार के
लिए । लेकिन तुम कैसे जानते हो? यह वहाँ लिखा है? "
शिव के चेहरे पे मुस्कुराहट नहीं छिपी, सिर हिलाहिला कर कहा, " स्वामी, सब कुछ पहलेसे लिखा है, सब कुछ लिखा है!"
उनका लेखन खत्म हो गया था, टेप रिकॉर्डर तैयार था। नोटबुक और कैसेट सौंपते, शिवने राकेश के हाथ में मूल ताड़ का पत्ता देते हुए कहा, ‘लो राकेशजी, नाड़ी ग्रंथ केंद्र से एक विशेष टोकन के रूप में यह ताड़पत्र भी आप स्वीकार कर लो। राकेश ने एक महान उपलब्धी हात में लेकर भेंटवस्तु को श्रद्धा पुर्वक स्वीकारा। कहा, ‘आज़ मैं धन्य हो गया। हे महर्षींयों, जिस दयार्द्र दृष्टीसे मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति का ख्याल करते हो, सदैव धन्य भागी रहूंगा आपका तथा आपकी इस अनमोल भेंट का।‘
उनका लेखन खत्म हो गया था, टेप रिकॉर्डर तैयार था। नोटबुक और कैसेट सौंपते, शिवने राकेश के हाथ में मूल ताड़ का पत्ता देते हुए कहा, ‘लो राकेशजी, नाड़ी ग्रंथ केंद्र से एक विशेष टोकन के रूप में यह ताड़पत्र भी आप स्वीकार कर लो। राकेश ने एक महान उपलब्धी हात में लेकर भेंटवस्तु को श्रद्धा पुर्वक स्वीकारा। कहा, ‘आज़ मैं धन्य हो गया। हे महर्षींयों, जिस दयार्द्र दृष्टीसे मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति का ख्याल करते हो, सदैव धन्य भागी रहूंगा आपका तथा आपकी इस अनमोल भेंट का।‘
उस दिन की जब याद आती है तो मन में अनेक प्रश्न उठते हैं –
कि एक पत्ता राकेश के लिए इंतजार कर रहा था की वे उसे पढने आएंगे। जरूर आएंगे, वो भी
उसी दिन जिस दिन उनके मातापिता के विवाह की 50वी बरसगांठ हो! उस इतज़ार को पुरा करने के लिए राकेश को हवाईजहाज का तात्काल सफर करना
पडा। अपनी सांस का देहान्त न होता तो वे पुणे तब नही आते। मेरा उनसे वार्तालाप में
उसी नाडी केंद्र में बुलाना महज एक आपसी सुविधा का भाग था। राकेश जी ताड़पट्टी
पढने की प्रेरणा कैसे हुई ?खुद एक देढ घंटे के
समय में पट्टी मिलकर नोटबुक बनकर टेप रिकॉर्ड भी हो गया तथा उस ताडपत्र को भेंट
स्वरूप दिया गया सब बाते अशक्यप्राय लगती है। ये सब पहले से ही तय था? महर्षींयों को लिखते समय इन सभी बातों की जानकारी थी?
कई लोगों को एलिस इन वंडरलैंड की काल्पनिक कथाओं में जो पढ़ने के लिए मिलता है, उससे भी अदभूत, बहुत कुछ वास्तव
में कुछ अनुभव किया जा सकता है, जो कि उससे भी अधिक अविश्वसनीय और सच भी है! यह मेरा सौभाग्य था की उस सम्मान और गर्व के विशेष अवसर पर मैं पुणे के नाडीकेंद्र में घटना का साक्षी बनकर उपस्थित था।
ब्रह्म सूक्ष्मनाड़ी ग्रंथ ताड़ के पत्ते पर लिखे अदभूत कथन के अनेक किस्से हैं। एक
बार फिरोज मिस्त्री को अचानक पट्टी पढने की इच्छा हुई। उनकी पट्टी मे मेरा नाम आया
और कहा गया की उसके किए भी एक पट्टी तैयार है। ऐसे करते करते 7-8 लोगों के
ब्रह्मसुक्ष्म ताड़पट्टी में बारबार निर्देश आया की एक पौर्णिमा को आप सभी
तिरुवन्नमलाई के पर्बत की परिक्रमा करोगे और बाद में एक व्यक्ति से मिलोगे, जो
आपका इंतजार कर रहे हैं। क्या हम सब वहां गए? उस व्यक्ति को ढूंढ पाए? आदी रोचक कथाएं फिर
अगले ससंस्करण में पढें ...
नाड़ी भविष्य के अनुसंधान के क्षेत्र में काम करने के लिए यही है वह शिव ने परंपराओं के विपरीत, राकेश को तलवार के आकार का ताड़ का पत्ता उपहार में दिया था,।
ताड़ का पत्ता तस्वीरें जो लोग यह देखने के लिए उत्सुक हैं के लाभ के लिए, संलग्न।
एक कहावत है कि सभी मनुष्य के भाग्य की बिसात से बंधे हैं की पुष्टि करता है। क्या यह बात सही नहीं है?
ताड़ का पत्ता तस्वीरें जो लोग यह देखने के लिए उत्सुक हैं के लाभ के लिए, संलग्न।
एक कहावत है कि सभी मनुष्य के भाग्य की बिसात से बंधे हैं की पुष्टि करता है। क्या यह बात सही नहीं है?
....
चंचल राकेश (माँ), रेणु (पत्नी) और सुरेंद्र (पिता) के नाम पहली लाईन में दिखाई देता है।
चंचल राकेश (माँ), रेणु (पत्नी) और सुरेंद्र (पिता) के नाम पहली लाईन में दिखाई देता है।
3 तीसरी पंक्ति में माता
पिताके विवाह की 50 वी बरसी का संदर्भ
प्रस्तूति - विंग कमांडर शशिकांत ओक । फोटो - हैयोहैयैयो ।
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