सोमवार, 3 दिसंबर 2012

Part 4 . पं मदनमोहन जी मोगावाले

Part 2. Pt. Madan Mojhan ji Mogawale


पं मदन मोहन जी मोगावाले भृगु वाचक नाम से प्रसिद्ध हैं। दि. 27 दिसंबर 2012 को जलंधर के उनके महर्षी भृगु तथा शुक्र - गुरुकुल दरबार में विंग कमांडर शशिकांत ओक को सफेद कोरे कागज़पर अवतरित फलादेश पढ़कर बताते हुए।

Part1. Pt. Madan Mojhan ji Mogawale Bhrugu Wachak


पं मदन मोहन जी मोगावाले भृगु वाचक नाम से प्रसिद्ध हैं। दि. 27 दिसंबर 2012 को जलंधर के उनके दरबार में विंग कमांडर शशिकांत ओक द्वारा भृगु तथा शुक्र महर्षी गुरुकुल में आचार्यों के साथ फलादेश पर चर्चा करते हुए बनाया गया चित्र भेंट किया गया।

रविवार, 2 दिसंबर 2012

पं शामाचरण जी के भृगु दरबार में त्रिपुरारी पौर्णिमा के दिन 2012 का फलादेश

पं शामाचरण जी के भृगु दरबार में त्रिपुरारी पौर्णिमा के दिन 28/11/2012 का फलादेश..हलकी सी पंजाबी में गपशप... मंडनमिश्र के घर का पता पुछते हुए आदि शंकराचार्य जी कैसे पहुंचे उनके घर,,. जहां तोता मैना आपसमें ब्रहमज्ञान की बाते करते हुए मिलेंगे वही उनका घर समझो....

शनिवार, 28 अप्रैल 2012

नाड़ी महर्षी अगस्त्य मुर्तीकी स्थापना 161 MCO Office बैंगलुरुकैंट रेल्वे स्टेशन हुई

Sarva Dharma Temple 

Gp Capt Rakesh Nanda  Narrating how his temple came in to being. In background Agasthya Statue with Naadi palm leaf.


    Interview of Gp Capt Rakesh Nanda by Wg Cdr Shashikant Oak.
He narrates how this temple has taken shape. How wonder of Honey, Appearance of Holy ash on Naadi leaf and  materialized Golden coin on 23 Feb 2012. Has gained reputation of  place of fulfilling of rightful desires. 'इच्छापुर्ती मंदिर'.
     
     Naadi Maharishi Agastyha Statue was installed on 29th Mar 2012. B'lore Cantt Rly Stn complex, in 161 MCO's office peremises, Sarva Dharma temple. To pay homage to his contribution of Naadi Literature in Tamil. Under supervision of Shri. Ananth Raman great Devotee of Saibaba of Shirdi

     As Rakesh says his outlook towards life underwent chang
e after getting blessings and readings by many Naadi Maharishis.




शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

सर्व धर्म सभामंडप मंदिरमें अष्ट ऐश्वर्यलक्ष्मी के सिक्के का चमत्कारी अवतरण


सर्व धर्म सभामंडप मंदिर में अष्ट ऐश्वर्यलक्ष्मी के सिक्के का चमत्कारी अवतरण


श्रद्धा तथा भक्तिभाव से आराधना करनेपर आराध्य अपनेआप प्रकट होते हैं।
नहीं उन्हे प्रकट होना बाध्य होता है।

Figure 1पुज्य शिरड़ी साईबाबा
आमतौर पर कहा जाताहै कि चमत्कार हमेशा नहीं होते। किसी अदभूत घटनाका अकारण होना चमत्कार कहा जाता है। परंतु ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा जी के साथ चमत्कार घटित होना एक आम बात होगई है।
उसका ताज़ा उदाहरण है – सर्वधर्म सभामंडप मंदिर में पुज़ा के समय अष्ट ऐश्वर्य महालक्ष्मी का एक सिक्का अवतरित होना।
वे कहते हैं – आज गुरूवार,दि. 23 फरवरी 2012, हमेशाकी तरह सुबह साडेदस के करीब हम बंगलुरु कैंट रेल्वे स्टेशन के समीप मुवमेंट कंट्रोल ऑफिसके कर्मचारी तथा मैं, कुछ बाहरसे आए अतिथियोंके साथ शिरडी साईबाबा तथा अन्य धर्मों के महापुरुषोंके सभामंडप में पुजा के लिए उपस्थित थे।पुजा के बीच अचानक खन्नकर आवाज़ आई, जैसे किसी के जेब़से सिक्का गिराहो। पर वहां खड़े हम सब देखकर हैरान हुए के वह आवाज़ पुज्य साईबाबा की मुर्ती के समीप स्थित सुनहरे रंग के सिक्के की थी!पुजा भी थोड़ी काल के लिएरुक गई और हरएक उस महालक्ष्मीके सुनहरे सिक्के के अचानक आगमनसे भौंचक्का रह गया !
आरती के पश्चात ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा जी ने उस सिक्के को परखा। सिक्के एक तरफ कमलास्थित  महालक्ष्मी का सुंदर चित्र है तथा उसके की दुसरी तरफ अष्टलक्ष्मी योगमायायंत्र है। राकेशजीने उपस्थित प्रत्यक्षदर्शियों के हाथ में उसे देकर उन्हे उपकृत किया । सब के सामने हुई अदभूत घटना के फोटो लिए गए।पुज्य साईबाबा को मनसे धन्यवाद किया तथा आनेवाले समय में ऐसेही कृपादृष्टी रखे रहने की प्रार्थना की।
कलियुग में सुनहरे सिक्के के अवतरण जैसी अदभूत घटनाएं होती है तो हमारा विज्ञानवादी मन उसे मानने के लिए तैयार नहीं होता। परउस घटनाकेप्रत्यक्षदर्शींयों के नाम तथा अनुभव कथन सुनकर, फोटो देखकरमन की आशंकाएं दुर हो जाती है। फिर मानना पडता है किश्रद्धा तथा भक्तिभाव से आराधना करनेपर आराध्य अपनेआप प्रकट होते हैं। नहीं उन्हे प्रकट होना बाध्य होता है। यही इस घटना का सार है।
Figure 2 पुज्य साईबाबाकी मुर्तीके समीप ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा तथा एक सहकर्मी
कर्मचारीतथा अन्यउपस्थित गण –श्री. दिनेश, श्री. सुरेश, नाईक गौडर, पोलिस इन्सपेक्टर रत्नाकर शेट्टी, तथा मुंबई से एक कंपनी के मैनेजिग डायरेक्टर श्री शेट्टीऔर
ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा - कमांडिंग अफसर,MCO, 160 MC/MF Detachment

बुधवार, 7 मार्च 2012

नाडीकेंद्र नाशिक के चीफ नाडीवाचक पी बाबुस्वामीं का हिन्दी में मनोगत

नाडी ग्रंथ भविष्य मराठीतील लेख व पत्रव्यवहारांची नोंद
विविध नाडीग्रंथ केंद्रवाचकांच्या मुलाखती घेऊन त्यांच्या बद्दलची सामान्य माहिती गोळा करण्याचे काम कार्यशाळा 2011 मधे केले गेले. त्यातील एक मुलाखत...

पी बाबुस्वामीचे नाशिकला द्वारका भागात नाडी केंद्र गेले 7-8 वर्षे सुरू आहे. आपल्या कुटुंबासह ते नाशिकात राहतात. अनेक लोकांनी त्यांच्या नाडीकथनातून लाभ घेतला आहे. नाडी वाचक महर्षींच्या कथनातून लोकांच्या समस्या सोडवायला मानसिक आधार देण्याचे काम आनंदाने करतात. श्री श्री रविशंकरांनी आपले स्वतःचे कथन त्यांच्याकडून ऐकले आहे. त्यांच्यासारख्या जगप्रसिद्ध व्यक्तीपासून ते सामान्य लोकांना त्यांच्या कथनाने समस्यापुर्तीचे समाधान लाभले आहे.
मी नुसता नाडीग्रंथ वाचक आहे असे न मानता, ज्याअपेक्षेने लोक नाडी महर्षींकडे पहातात त्यामुळे आम्हाला या व्यवसायाचा बाजार करणे मान्य नाही. इतर काय करतात यापेक्षा मी या व्यवसायातील साधन शुचितेचे भान राखतो का याचा सतत विचार करून, ग्राहकाला परतताना आपल्याला काही नविन मिळाल्याचे समाधान नक्की करून देतो असे त्यांचे म्हणणे आहे.
तुटक हिंदीतून असले तरी त्यांचे कथन रसाळ व भावनिक आहे. असे त्यांच्या कथनातून जाणवते.

Workshop 2011 in troduction of Dr. Sanjeev Dole.mpg

Adv. Rajendra Pathak introduces Dr. Sanjeev Dole to invitees of workshop.
In his clinic work shop venue 2 was conducted.

अॅड. राजेंद्र पाठक कार्यशाळा 2011 मधील उपस्थित निमंत्रितांशी डॉ संजीव डोळे यांची ओळख करून देताना. डॉ. डोळे यांच्या घोले रस्त्यावरील क्लिनिकमधे या कार्यशाळेचे कामकाज चालले होते.

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए

As part of Work shop 2011 on Naadi palm leaf in Pune, team under Gp Capt Rakesh Nanda and Rajendra Pathak visited Shankar nagari Naadi center located on Paud road in Kothrud area. Part 1 is about chat with Desk attendant lady. Mrs Manisha and later discussion with Kuppuswami expert Naadi reader form Tamil Nadu. Views and experiences shared by Some visitors. It is in Marathi and some parts are in Hindi.

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए

As part of Work shop 2011 on Naadi palm leaf in Pune, team under Gp Capt Rakesh Nanda and Rajendra Pathak visited Shankar nagari Naadi center located on Paud road in Kothrud area. Part 1 is about chat with Desk attendant lady. Mrs Manisha and later discussion with Kuppuswami expert Naadi reader form Tamil Nadu. Views and experiences shared by Some visitors. It is in Marathi and some parts are Hindi. 

मंगलवार, 6 मार्च 2012

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए
As part of Work shop 2011 on Naadi palm leaf in Pune, team under Gp Capt Rakesh Nanda and Rajendra Pathak visited Shankar nagari Naadi center located on Paud road in Kothrud area. Part 1 is about chat with Desk attendant lady. Mrs Manisha and later discussion with Kuppuswami expert Naadi reader form Tamil Nadu. Views and experiences shared by Some visitors. It is in Marathi and some parts are in Hindi. 

Work shop 2011 -Rakesh Nanda-Part-1.mpg

Gp Capt Rakesh Nanda narrates about his first encounter of Naadi Experiences.
He explains his service medals-decorations- of his uniform to Adv. Rajendra Pathak





Work Shop 2011 -- Rakesh Nanda.mpg


Interview of Naadi Lover Gp Capt Rakesh Nanda by Shashikant Oak. ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा जी अपने पिताजी के संदर्भ में बातें करते हुए।

शुक्रवार, 2 मार्च 2012

शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

नाड़ी ग्रंथोंपर कार्यशाला 2011 अंतर्गत video clips of Interviews of Naadi centers

Dear Naadi Lovers,
Here are some video clips of Interviews of Naadi centers workers and visitors taken for recently concluded Work shop Names Focus on Naadi Granthas. It is in Hindi and  partly in Marathi.
Other clips will be places in near future via You tube.
Please visit blog " Work shop on naadi Granthas"

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

अत्रिजीव नाडी वाचक मुत्थु सेल्वा कुमारन से प्रश्न कांडम पर चर्चा

 



अत्रिजीव नाडी वाचक मुत्थु सेल्वा कुमारन
अत्रिजीव नाडी वाचक मुत्थु सेल्वा कुमारन से वेब-कॉम्प्युटर पर किए संभाषण द्वारा १४ दिसेंबर२०१० के उत्तरों का सारांश। १ से ४ तक के प्रश्न सेल्वाजी के थे। उनके कहनेपर मैंने पुछे थे। पांचवा प्रश्न तथा अंत में की गई प्रार्थना मेरी याने शशिकांत ओक की तरफ़ से थी।
पश्न पहला - आपके भविष्य कथन में कोई ज्योतिषशास्त्र के गणित या सुत्रों की चर्चा या उल्लेख नही होता, फिर ये जीव नाडी के कथन किस प्रकार से लिखे गए? (अंक बताया था ४१)
उत्तर उस दिन का संदर्भ देकर नाडी महर्षी उत्तर देने की शुरवात करते है। अत्री उवाच आज विकृती वरुषम (सन २०१०-२०११)के कार्तिक मासम (१५ नोहेंबर से १५ दिसंबर तक) की तमिल तिथि २८ (तारीख १४ दिसंबर २०१०)अर्थात नवमी, मंगलवार है । अब के समय उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र के दिन चंद्र मीन राशी में है। तथा प्रश्न का लग्न सिंह राशि का होगा। (बाद में तमिल पंचाग से इस ग्रहकालगति की सत्यता १०० प्रतिशत सही पाई गई। जो इस प्रकार थी। मेष लग्न में छटे स्थान में शनि, सातवे में रवि-बुध, आठवे में शुक्र, मंगल तथा राहू नवम घर में, गुरू-चंद्र दसवे में, तथा केतु तिसरे घर में उपस्थित होंगे।)
आगे महर्षी कहते है, यह मात्र कहनेवाली बात है कि हम महर्षी लोग जीवनाडी कथन कराते है परंतु सत्यता यह है कि स्वयं भगवान शिवशंकरही इसे लिखते तथा बोलने की प्रेरणा है। जिन्हे आदि-अंत का ज्ञान हो अर्थात त्रिकालज्ञान हो वे ही ऐसे कथन करने की क्षमता रखते है।
कथन सुत्र में होते है। बिना सुत्र का इस ब्रह्मांड में कुछ भी नही। सब गणित पंचमहाभूत, २७ नक्षत्र, ९ ग्रहगोल तथा १२ राशियों से एक दूसरों से जुडे है। समय की गणना अनादि है। समय तो एक ही है। मानवी जीवन को आधार देने के लिए समय को टुकडों में बांट कर साल, मास, दिन, आदि की रचना हुई। आगे सुक्ष्मातिसुक्ष्म भी भाग - जैसे एक ही लग्न के ३०० भाग बने। उसके फिर १५० उपविभाग या अंश कर नाडी के अंश बनाए गए। तात्पर्य रचनाएं सुत्रबद्ध है। इस के आगे की बात गुप्त रखना ही हित में है।
प्रश्न दुसरा हे श्रद्धेय महर्षी अत्री, आप के आदेश के अनुसार मैंने जप साधना शुरू की तथा माता सरस्वती की तथा दत्तात्रय के जन्मदिन पर साधना गुरु के दरबार में जा कर की । क्या सब आपके निर्देश के अनुसार था या कोई त्रुटियां रही? अगर गलतियाँ रही हों तो उसे ठिक करने के लिए क्या करना प़डेगा? (अंक था - १९)
उत्तर प्रश्न का लग्न है तुला। कोई त्रुटी नही रही। ना आपने जो महर्षींयों की सेवा की उसमें कोई कमी नही आय़ी है। मानव हो तो गलतियां होती है, गलतियों को सुधारने के लिए दंड भी करता रहता हूँ।
प्रश्न तिसरा- नाडी वाचक दुसरों को जीवनाडी का पठन करने की दीक्षा दे सकते है? यदि हो तो क्या तरीका है? (अंक बताया था ६३)
उत्तर मिथुन लग्न मे पुछा गया प्रश्न है। जीव नाडी कथन पढाने का कोई तरीका नही । भगवान शिवही तय करते है कि उसे कौन पठन करेगा । उसे वो कला आपने आप आएगी । इस के लिए गुरु की, प्रॅक्टीस या पैरची(नाडीपट्टी में आया तमिल शब्द) की जरूरत नाहीं। इसे वय का, लिंग का तथा संन्यासी होने का बंधन नही । फिर भी यह कहूं कि ब्रह्मर्षी का आशीर्वाद हो तथा जिसकी कुंडली में अध्यात्म योग हो तो उसे पठने में कठिनाई नही होती। यह शक्ति कभी भी मिल सकती है। संक्षिप्त में, जैसे भगवान शिवशंकर की इच्छा हो तो वे व्यक्ति का चयन करते है।
प्रश्न चौथा। पैसे की कमी के कारण जीव नाडी में बताए गए परिहार का पालन करना संभव नही होता ऐसे में क्या करे? (अंक ८३ बताया था)
उत्तर धनुलग्न मे पुछे गये प्रश्न का उत्तर देने से पहले नाडी शास्त्री सेल्वा मुत्थु कुमारन कहते है कि अत्रि महर्षी गरम हो कर कहते है। जिसके लिए परिहार के विधी बताए जाते है उसकी परिस्थिती के हिसाब से ही उसे मार्गदर्शन किया जाता है। इस तरह का प्रश्न गलत है। पढने वाला या अन्य भाषा में कथन कर समझाने वाला अगर गलती करे तो क्या करे? यदि जादा पैसे का लालच हो जाए तो उसे ठीक प्रायश्चित्त या दंड मिलता है। उसकी चिंता जातक को नही करनी चाहिए।
प्रश्न पांचवा प्रश्न पूछनेपर आप प्रश्न का लग्न बताते है, उसका कारण तथा गणित क्या है? (अंक बताया था ७१)
उत्तर प्रश्न कुंभ लग्न में पुछा गया था। प्रश्न गलत नही, अतः जानकारी देकर संतुष्ट करता हूँ। प्रश्न पुछनेपर ही आप अंक बताते हो। पर असल में आप क्या अंक कहने वाले हो यह भी तय है। इसलिए आपके उत्तर देने की एक कुंडली बनती हे जिस में प्रश्न का लग्न तयार होता है। सीधे साधे शब्दों में कहा जाए तो जो अंक आप १ से १०८ तक बताते हो वह १२ राशियों तथा ९ ग्रहों के गुणाकार से बनता है। जैसे अभी आपने ७१ कहा तो १२गुना ५ बने ६० शेष बचे ११ तो प्रश्न की लग्न होता है कुंभ। अबतक की संख्या का अध्ययन आप करे तो यह बात उभरकर आएगी। जैसे पहले प्रश्न की ४१ संख्या का लग्न था सिंह।( १२*=शेष ५, सिंह राशी का क्रमांक होता है -५), दुसरे प्रश्न की संख्या १९का शेष ७ था, तो बनी तुला राशी, तिसरे का शेष ३ प्रश्न याने प्रश्नलग्न था मिथुन, चौथे प्रश्न की शेष संख्या ९ थी तो लग्न बना धनुष)।
महर्षी अत्री से विदा लेने से पुर्व, मुझमें काव्यशक्ति जागृत हो ऐसे आशीर्वाद मांगा तब उन्होंने कहा, प्रार्थना आत्मा से संबंधित है। उसे उचित गुरुही प्रदान करेंगे
शब्दांकन - शशिकांत ओक
दि ३ जनवरी २०११.