बुधवार, 7 मार्च 2012

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए

As part of Work shop 2011 on Naadi palm leaf in Pune, team under Gp Capt Rakesh Nanda and Rajendra Pathak visited Shankar nagari Naadi center located on Paud road in Kothrud area. Part 1 is about chat with Desk attendant lady. Mrs Manisha and later discussion with Kuppuswami expert Naadi reader form Tamil Nadu. Views and experiences shared by Some visitors. It is in Marathi and some parts are Hindi. 

मंगलवार, 6 मार्च 2012

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए

ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा शंकर नगरी पुणे स्थित नाडी केंद्रपर लोगों से बात करते हुए
As part of Work shop 2011 on Naadi palm leaf in Pune, team under Gp Capt Rakesh Nanda and Rajendra Pathak visited Shankar nagari Naadi center located on Paud road in Kothrud area. Part 1 is about chat with Desk attendant lady. Mrs Manisha and later discussion with Kuppuswami expert Naadi reader form Tamil Nadu. Views and experiences shared by Some visitors. It is in Marathi and some parts are in Hindi. 

Work shop 2011 -Rakesh Nanda-Part-1.mpg

Gp Capt Rakesh Nanda narrates about his first encounter of Naadi Experiences.
He explains his service medals-decorations- of his uniform to Adv. Rajendra Pathak





Work Shop 2011 -- Rakesh Nanda.mpg


Interview of Naadi Lover Gp Capt Rakesh Nanda by Shashikant Oak. ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा जी अपने पिताजी के संदर्भ में बातें करते हुए।

शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

नाड़ी ग्रंथोंपर कार्यशाला 2011 अंतर्गत video clips of Interviews of Naadi centers

Dear Naadi Lovers,
Here are some video clips of Interviews of Naadi centers workers and visitors taken for recently concluded Work shop Names Focus on Naadi Granthas. It is in Hindi and  partly in Marathi.
Other clips will be places in near future via You tube.
Please visit blog " Work shop on naadi Granthas"

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

अत्रिजीव नाडी वाचक मुत्थु सेल्वा कुमारन से प्रश्न कांडम पर चर्चा

 



अत्रिजीव नाडी वाचक मुत्थु सेल्वा कुमारन
अत्रिजीव नाडी वाचक मुत्थु सेल्वा कुमारन से वेब-कॉम्प्युटर पर किए संभाषण द्वारा १४ दिसेंबर२०१० के उत्तरों का सारांश। १ से ४ तक के प्रश्न सेल्वाजी के थे। उनके कहनेपर मैंने पुछे थे। पांचवा प्रश्न तथा अंत में की गई प्रार्थना मेरी याने शशिकांत ओक की तरफ़ से थी।
पश्न पहला - आपके भविष्य कथन में कोई ज्योतिषशास्त्र के गणित या सुत्रों की चर्चा या उल्लेख नही होता, फिर ये जीव नाडी के कथन किस प्रकार से लिखे गए? (अंक बताया था ४१)
उत्तर उस दिन का संदर्भ देकर नाडी महर्षी उत्तर देने की शुरवात करते है। अत्री उवाच आज विकृती वरुषम (सन २०१०-२०११)के कार्तिक मासम (१५ नोहेंबर से १५ दिसंबर तक) की तमिल तिथि २८ (तारीख १४ दिसंबर २०१०)अर्थात नवमी, मंगलवार है । अब के समय उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र के दिन चंद्र मीन राशी में है। तथा प्रश्न का लग्न सिंह राशि का होगा। (बाद में तमिल पंचाग से इस ग्रहकालगति की सत्यता १०० प्रतिशत सही पाई गई। जो इस प्रकार थी। मेष लग्न में छटे स्थान में शनि, सातवे में रवि-बुध, आठवे में शुक्र, मंगल तथा राहू नवम घर में, गुरू-चंद्र दसवे में, तथा केतु तिसरे घर में उपस्थित होंगे।)
आगे महर्षी कहते है, यह मात्र कहनेवाली बात है कि हम महर्षी लोग जीवनाडी कथन कराते है परंतु सत्यता यह है कि स्वयं भगवान शिवशंकरही इसे लिखते तथा बोलने की प्रेरणा है। जिन्हे आदि-अंत का ज्ञान हो अर्थात त्रिकालज्ञान हो वे ही ऐसे कथन करने की क्षमता रखते है।
कथन सुत्र में होते है। बिना सुत्र का इस ब्रह्मांड में कुछ भी नही। सब गणित पंचमहाभूत, २७ नक्षत्र, ९ ग्रहगोल तथा १२ राशियों से एक दूसरों से जुडे है। समय की गणना अनादि है। समय तो एक ही है। मानवी जीवन को आधार देने के लिए समय को टुकडों में बांट कर साल, मास, दिन, आदि की रचना हुई। आगे सुक्ष्मातिसुक्ष्म भी भाग - जैसे एक ही लग्न के ३०० भाग बने। उसके फिर १५० उपविभाग या अंश कर नाडी के अंश बनाए गए। तात्पर्य रचनाएं सुत्रबद्ध है। इस के आगे की बात गुप्त रखना ही हित में है।
प्रश्न दुसरा हे श्रद्धेय महर्षी अत्री, आप के आदेश के अनुसार मैंने जप साधना शुरू की तथा माता सरस्वती की तथा दत्तात्रय के जन्मदिन पर साधना गुरु के दरबार में जा कर की । क्या सब आपके निर्देश के अनुसार था या कोई त्रुटियां रही? अगर गलतियाँ रही हों तो उसे ठिक करने के लिए क्या करना प़डेगा? (अंक था - १९)
उत्तर प्रश्न का लग्न है तुला। कोई त्रुटी नही रही। ना आपने जो महर्षींयों की सेवा की उसमें कोई कमी नही आय़ी है। मानव हो तो गलतियां होती है, गलतियों को सुधारने के लिए दंड भी करता रहता हूँ।
प्रश्न तिसरा- नाडी वाचक दुसरों को जीवनाडी का पठन करने की दीक्षा दे सकते है? यदि हो तो क्या तरीका है? (अंक बताया था ६३)
उत्तर मिथुन लग्न मे पुछा गया प्रश्न है। जीव नाडी कथन पढाने का कोई तरीका नही । भगवान शिवही तय करते है कि उसे कौन पठन करेगा । उसे वो कला आपने आप आएगी । इस के लिए गुरु की, प्रॅक्टीस या पैरची(नाडीपट्टी में आया तमिल शब्द) की जरूरत नाहीं। इसे वय का, लिंग का तथा संन्यासी होने का बंधन नही । फिर भी यह कहूं कि ब्रह्मर्षी का आशीर्वाद हो तथा जिसकी कुंडली में अध्यात्म योग हो तो उसे पठने में कठिनाई नही होती। यह शक्ति कभी भी मिल सकती है। संक्षिप्त में, जैसे भगवान शिवशंकर की इच्छा हो तो वे व्यक्ति का चयन करते है।
प्रश्न चौथा। पैसे की कमी के कारण जीव नाडी में बताए गए परिहार का पालन करना संभव नही होता ऐसे में क्या करे? (अंक ८३ बताया था)
उत्तर धनुलग्न मे पुछे गये प्रश्न का उत्तर देने से पहले नाडी शास्त्री सेल्वा मुत्थु कुमारन कहते है कि अत्रि महर्षी गरम हो कर कहते है। जिसके लिए परिहार के विधी बताए जाते है उसकी परिस्थिती के हिसाब से ही उसे मार्गदर्शन किया जाता है। इस तरह का प्रश्न गलत है। पढने वाला या अन्य भाषा में कथन कर समझाने वाला अगर गलती करे तो क्या करे? यदि जादा पैसे का लालच हो जाए तो उसे ठीक प्रायश्चित्त या दंड मिलता है। उसकी चिंता जातक को नही करनी चाहिए।
प्रश्न पांचवा प्रश्न पूछनेपर आप प्रश्न का लग्न बताते है, उसका कारण तथा गणित क्या है? (अंक बताया था ७१)
उत्तर प्रश्न कुंभ लग्न में पुछा गया था। प्रश्न गलत नही, अतः जानकारी देकर संतुष्ट करता हूँ। प्रश्न पुछनेपर ही आप अंक बताते हो। पर असल में आप क्या अंक कहने वाले हो यह भी तय है। इसलिए आपके उत्तर देने की एक कुंडली बनती हे जिस में प्रश्न का लग्न तयार होता है। सीधे साधे शब्दों में कहा जाए तो जो अंक आप १ से १०८ तक बताते हो वह १२ राशियों तथा ९ ग्रहों के गुणाकार से बनता है। जैसे अभी आपने ७१ कहा तो १२गुना ५ बने ६० शेष बचे ११ तो प्रश्न की लग्न होता है कुंभ। अबतक की संख्या का अध्ययन आप करे तो यह बात उभरकर आएगी। जैसे पहले प्रश्न की ४१ संख्या का लग्न था सिंह।( १२*=शेष ५, सिंह राशी का क्रमांक होता है -५), दुसरे प्रश्न की संख्या १९का शेष ७ था, तो बनी तुला राशी, तिसरे का शेष ३ प्रश्न याने प्रश्नलग्न था मिथुन, चौथे प्रश्न की शेष संख्या ९ थी तो लग्न बना धनुष)।
महर्षी अत्री से विदा लेने से पुर्व, मुझमें काव्यशक्ति जागृत हो ऐसे आशीर्वाद मांगा तब उन्होंने कहा, प्रार्थना आत्मा से संबंधित है। उसे उचित गुरुही प्रदान करेंगे
शब्दांकन - शशिकांत ओक
दि ३ जनवरी २०११.