NAADI ASTROLOGY – A HOAX? - DR . JAYANT NARALIKAR
NAADI ASTROLOGY AND DR . JAYANT NARALIKAR
READ THE ARTICLE FROM BOOK 'NAADI PREDICTIONS - A MIND BOGGLING MIRACLE' BY WING COMMANDER SHASHIKANT OAK
महर्षि अत्रि और उनकी सहयोगी माता अनुसुया से सक्रिय जीव नाड़ी भविष्यवाणियाँ
परिचय
अब तक पाठक नाड़ी भविष्यवाणियों के बारे में पता कर रहे हैं. प्राचीन संतों महंतों की ताड़ के पत्ते पर आश्चर्यजनक भविष्यवाणियां जैसे, अगस्त्य, वसिष्ठ, भृगु, शुक्र, काक भुजंडर और कई महाभाग जिनका नाम हम केवल भारतीय प्राचीन साहित्यों में या शास्त्रों में पढ़ा करते है, लिखी हैं.
जीव नाड़ी क्या है?
जीव नाड़ी गतिशील, सक्रिय है नाड़ी भविष्यवाणियां होती है। जिसमें महर्षि एक व्यक्ति की समस्याओं के प्रति प्रतिक्रिया करते है। जैसे वह अपने साधक के सामने मौजूद है। वे मौके पर ही घटनाओं की स्थिति पर राय व्यक्त करते है. इस प्रकार, यह एक बहुत विशेष और सटीक पद्धति है.
|
नाड़ी भविष्यवाणी की वर्तमान मानक प्रणाली है कि, जातक अपने अंगूठे की निशानी देता है। फिर उसे अपनी ताड़पत्री मिलने तक इंतज़ार करना पड़ता है। इस प्रणाली में संभावना है कि एक मामले में उचित ताड़ का पत्ता कुछ मिनटों में या कई घंटे के व्यस्त खोज के बाद मिलेगा। अगर व्यक्ति भाग्यशाली हो तो ठीक नहीं तो कोशिश खाली जा सकती हैं। उसे फिर से आने की लिए बाध्य होना पडता है। अन्यथा एक भद्दा मज़ाक समझकर भूलना पड़ता है। "दिखने में जीव या सक्रिय नाड़ी" अन्य सामान्य नाड़ीयों जैसी ही दिखती है। लेकिन उसने में लिखा भविष्य तथा कथन की विधि, ताड़ के पत्ते पर सटीक बात करने तक पहुँचने का मार्ग एकदम अलग है. महर्षि अत्रि या अत्रेय और उसकी सहयोगी महासती अनुसुया की यह जीवनाड़ी है.पौराणिक कथाओं के अनुसार इन व्यक्तियों के बारे में पता है कि अत्रि और अनुसुया युगल का प्रसिद्ध गुरुकुल हुआ करता था। अपनी तपस्या और योग साधना से माता अनुसूयाने अदभूत शक्ती प्राप्त की थी. उनकी परीक्षा लेने के लिए व्यक्तित्व के निर्माता ब्रह्मा, पालक विष्णु और रक्षक ?विध्वंसक शिव भूखे और थके तीनों तीर्थयात्रियों के रूप में, मध्याह्न भोजन के लिए गुरुकुल में पहुंचे. एक याचक के रुप में उन्होंने तुरंत भोजन की मांग की.साथ में एक अजीब शर्त लगाई कि, मेजबान अत्रीजी के आने का इंतज़ार न करते हुए, अनुसुया द्वारा भोजन परोसा जाए, वो भी बिना कपड़ा पहने. अनुसूयाजी को अपने योग शक्ती से पता चला कि यह एक बहाना है उसकी परीक्षा लेने का। न केवल उन्होंने शर्त का पालन किया परंतु अपने योगबल से उस तीनों याचकों को शिशुरुप में ढालकर उन्हे स्तनपान करवाया. महर्षि अत्रि जब अपनी साधनासे लौटे तो देखकर दंग रह गए कि जगत के तीनो महान देवता माता अनुसूया की गोद में खेल रहें है। बच्चों की शौकीन उनकी पत्नी अनुसुया तथा असाधारण तीन बच्चों को आशीर्वाद दिया. तीनों को कहा, "आपको आज़ से दत्तात्रेय के अवतार से जाना जाएगा".
दत्त का अर्थ है - प्रस्तुत किया गया दिया गया, त्रेय का मतलब है तीनों, अत्रेय का अर्थ है अत्रि परिवार के । संक्षेप में, सांसारिक की बेहतरी के लिए अत्रि और उसकी सहयोगी अनुसुया को त्रिमूर्ति के अवतार स्वरूप भेंट मिली। दत्तात्रेय अवतार बाद में नवनाथ के सर्जक का संप्रदाय बना। नौ सिद्धों के, नाथ - आदिनाथ - स्वयं शिव माने जाते है।
देखने की प्रक्रिया व्यक्ति के सामने जीव नाड़ी ताड़पत्र के तीन पैकेट रखे जाते हैं। महर्षि अत्रि और माता अनुसुया के मार्गदर्शन की तलाश उन पट्टियों में से होती है। किसी एक ताड़ के पत्ते से जातक द्वारा पुछे गए प्रश्नों का, समस्याओं का समाधान तुरंत पट्टी से पढकर बताया जाता है। जातक को दिन और समय दिया जाता है. शुरु में कहा जाता है, महर्षींयो से प्रार्थना करे कि आप आशिर्वाद के रुप में हमारा मार्गदर्शन करें। १२ कवडियां दोनो हाथमें लेकर दान दिया जाता है. उलट पुलट गिरी कवडियों को गिनकर किसी एक पैकेट से ताड़ के पत्र का चनय किया जाता है। एक और तरीका भी है जो शारीरिक रूप से प्रश्न पुछने के लिए मौजूद नहीं हैं उस व्यक्ति को 1 से 108 तक की कोई कोई भी संख्या बताना पडता है। उस नंबर के आधार से, नाड़ीरीडर ताड़पत्ते तक पहुंता है तथा प्रश्न / समस्या से संबंधित ताड़पत्र में लिखा पढना शुरू करता हैं. महर्षी अत्रि सर्व प्रथम सत-चित- आनंद शिवतत्व को वंदना कर जातक के प्रश्नों के उत्तर देने की प्रेरणा उनसे मांगते है। उनके कहने से पता चलता है कि हम उस शिवतत्व के सामने कुछ भी नही। परम तत्व की करुणा हो तो ही कुछ हो सकता है अन्यथा नही। एक अवसर पर एक विशेष शंका के उपलक्ष में अत्रि महर्षि ने संख्या पद्धति का सुझाव दिया था, जिससे दूर स्थानों से जातकों को अपनी समस्या का समाधान पाने के लिए नाड़ी केंद्र तक आने की जरूरत नही रही। जातक अपनी भाषा में पश्न पुछने पर महर्षीं का मार्गदर्शन उसकी भाषा में अनुवाद कर फोनपर बताया जाता है। एक प्रश्न के पश्चात जातक दुसरा प्रश्न पुछ सकता है। तब उसे फिरसे कौड़ीयां डालकर प्रश्न करना पड़ता है। एक समय पर आप पांच तक प्रश्न पुछ सकते हैं। अचरज की बात यह है कि उन्ही तीन ताड़पत्र को पैकिट में से पत्रों को बारंबार पढकर अब तक सेंकड़ो लोगों ने हज़ारों प्रश्नों के उत्तर बैठे बैठे पाए है। आगे कितने साल तक यह सिलसिला जारी रहेगा इसकी कल्पना किसी को भी नहीं। |